Thursday 28 February 2019

पंछियों पर कविताएँ | Poem on Birds in Hindi

पक्षियों के लिए खुला आकाश सोने के पिंजरे से कहीं अधिक प्यारा है। हम इन कविताओं के जरिये पक्षियों के माध्यम से मनुष्य को आज़ादी का मूल्य बताना चाहते है। जिस प्रकार मनुष्य के लिए आज़ादी से अधिक प्यारा कुछ भी नही है, उसी प्रकार यह पक्षी भी अपने पंख फैलाकर, आज़ादी के सपने लिए, विशाल गगन में उड़ जाने को हमेशा तत्पर रहते है। ये क्षितिज के अंत तक आकाश में उड़ना चाहते है। ये मूक पक्षी सबसे प्रार्थना करते है कि चाहे उनके आश्रय स्थल समाप्त कर दिए जाये परन्तु उनकी आज़ादी की उड़ान में बाधा नही डाली जाये। यह कविता के माध्यम से हम सन्देश देना चाहते है कि आज़ादी में जो सुख है, वह किसी भी प्रकार की गुलामी में नहीं। हम आपके समक्ष Poem on Birds in Hindi शेयर करते है।

पंछियों पर कविताएँ | Poem on Birds in Hindi


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Poem on Birds in Hindi

Poem on Birds in Hindi


ओ री चिड़िया

पेड़ों पर कूदती है कभी,
और कभी पानी में नहाती।
कभी तो पंखों को फैलाकर अपने,
दूर आसमाँ में उड़ जाती।
ओ री चिड़िया!
क्यों? डरती हो मुझसे,
पास क्यों नही आती ?
अगर मैं पास तुम्हारे आती,
झट से क्यों आसमाँ में उड़ जाती।
शायद ये पेड़ और पक्षी है तुम्हारे सच्चे मित्र,
इसीलिए तो ये प्रकृति ही,
तेरे मन को भाती।
- निधि अग्रवाल

ईश्वर ने इस प्रकृति के सभी जीव-जन्तुओं को अद्भुद और सुन्दर रंगों से सजाया है। उन्होनें पशु और पक्षियों को बड़े ही कलात्मक तरिके से बनाया है। इन पंक्षियों की अपनी ही अलग सी दुनियाँ होती है, बिल्कुल अद्भुद और अनोखी सी। खुले आकाश में उड़ना, जिंदगी को जी भर के जीने की कला तो कोई इनसे सीखे। ये पंक्षी तो देखने में भले ही छोटे हो, पर हमें कोई न कोई सीख अवश्य देते हैं।

लेकिन हम इस आधुनिक युग में देख रहे है, लोग प्रकृति के दिये उपहार से कुछ सीखने के बजाय इन्हें अपने मनोरंजन के लिए प्रयोग कर रहे है। लोग इनको पिंजरों में बंद करके रखते है, जो इन निर्दोष पंक्षियों के साथ बहुत अन्याय है। हम इंसान है और हमें ईश्वर ने प्रेम रूपी हृदय दिया है, ताकि हम सभी प्राणियों से प्रेम करे। हम हमारी पंक्षियों पर कविताओं के द्वारा आपको ये बताना चाहते है, कि ये पंक्षी भी हमारी प्रकृति का हिस्सा है, इनसे प्रेम करें और प्रकृति को जीवन प्रदान करें।

चिड़ियों पर कविता | Chidiyon Par Kavita


हम पंछी उन्मुक्त गगन के

हम पंछी उन्मुक्त गगन के,
पंखों को फैलाकर अपने।
लेकर आज़ादी के सपने,
उड़ जाने को हैं तत्पर।

मस्त पवन के झोंको से,
अपने मन को बहलाने वाले।
बारिश की बूंदों के जल से,
अपनी प्यास बुझाने वाले।

मत छीनो हमसे ये आज़ादी,
निष्कलंक निष्पाप हैं हम।
मत रखो बंधन में हमको,
ईश्वर के वरदान हैं हम।

पंखों को फैलाकर अपने,
हम तो बस उड़ना चाहते हैं।
आज़ादी के सपने लेकर,
बस थोड़ा आसमां चाहते हैं।
- निधि अग्रवाल

हमारी यह कविताएँ पढ़ने वाले बच्चों को अथवा नौजवानों को प्रेरित करेंगी। जिस प्रकार से एक पंछी का हौसला हमेशा बुलंद होता है, उसी प्रकार से हमें अपने जीवन में निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। किसी भी प्रकार की असफलता का सामना कर, उससे सीख लेते हुए, हमें निरंतर अग्रसर रहना चाहिए। एक पक्षी तिनका-तिनका चुनकर अपना आशियाना बनाता है और यदि एक तेज़ हवा का झोंका उनके आशियाने को उड़ा ले जाए, फिर भी उनका हौसला कम नही होता। फिर से तिनका-तिनका चुनकर वह नया आशियाना बना लेते है। यही पक्षियों का हौसला देखते हुए, हम आपके समक्ष एक काव्य रचना पक्षियों का हौसला, हमारी पंछियों पर कविताएँ के संग्रह में से शेयर करते है।

पंछियों पर कविता | Panchi Par Kavita


पक्षियों का हौंसला

जुबाँ पे शब्द नही,
पर दिलों में अहसास तो होता है।
पंक्षियों का कोई घर नही,
पूरा आसमाँ तो होता है।

तिनका-तिनका चुनकर घोंसला बनाते है।
अक्सर पेडों पर अपना आशियाना सजाते है।
तेज हवाएँ उड़ा ले जाती है उनका घोंसला,
पर नही ले जा सकती उनके मन का हौंसला।

फिर से चुनते है, फिर से बुनते हैं,
अपने बच्चों को जीवन देते है।
क्यों नही सीखते हम उनसे ये सब,
आपस में हम लड़ते रहते हैं।

मेरा मेरा करके न जाने क्यों जलते रहते है।
हमसे अच्छे तो ये पक्षी है।
निःशब्द रहकर बहुत कुछ कहते हैं।
जीवन तो इनका जीवन है,
हम तो बस यूँ ही जीकर मरतें रहते हैं।
- Nidhi Agarwal
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Edited by- Somil Agarwal

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