Tuesday 11 May 2021

पेड़ और पौधों पर कविताएँ | Poem on Trees in Hindi

पेड़ और पौधे सभी प्रकृति की एक अनोखी रचना है। यह पेड़ व पौधे हमारी धरती माँ को हरा-भरा रखते है और हमारे वातावरण को स्वच्छ व सुन्दर बनाते है। मानव और जानवर मानों हरदम इनपे ही निर्भर रहते है। यह पेड़ दूषित एवं जहरीली कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य गैसों को अवशोषित करके हमें व जानवरों को स्वच्छ ऑक्सीजन प्रदान करते है। यह वृक्ष कई महत्वपूर्ण चीज़ों के स्रोत भी है, जिसे मनुष्य अपनी दैनिक जीवन में उपयोग करते है। यह पेड़-पौधे हमें फल-फूल, विभिन्न प्रकार की औषधियाँ, लकड़ी, बांस, रंग, तेल, बीज़ इत्यादि।

पेड़-पौधों का होना हमारे लिए बहुत उपयोगी है। इनकी वजह से ही हम सब धरती पर जीवित है। परन्तु वर्तमान समय में इनका अस्तित्व खतरे में पड़ता नज़र आ रहा है, इनका अंधाधुन शोषण हमारे लिए खतरनाक बनता जा रहा है। अगर हम मनुष्य समय रहते नही चेते तो यह समस्या गंभीर रूप ले लेगी और पूर्ण मानवजाति ख़तरे में पड़ जाएगी। जल-वायु परिवर्तन व पेड़ की कटान के कारन धरती के तापमान में वृद्धि जैसी कई अन्य समस्याएँ उत्पन्न हो रही है।

हमें आज संकल्प लेना पड़ेगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि आज से व अभी से पेड़ व पौधों को काटने से बचाना होगा व पौधारोपण को अपने जीवन में बढ़ावा देना होगा। आज हम आपके समक्ष पेड़ों की महत्त्वता बताते हुए Poem on Trees in Hindi साझा करते है, जिससे की हमारे प्यारे बच्चों व अन्य पाठकों को इनकी महत्त्वता ज्ञात हो सके।

पेड़ और पौधों पर कविताएँ | Poem on Trees in Hindi


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Poem on Trees in Hindi

Poem on Trees in Hindi


पेड़ बड़े अनमोल धरा पर

हैं पेड़ बड़े अनमोल धरा पर,
इन पर ही है निर्भर हम सबका जीवन,
सुंदर सी प्रकृति की ये है शोभा,
बिन इनके असंभव है जीवन।

पेड़ वायु को करते है शुद्ध,
अवशोषित कर कॉर्बन के कण,
बदले में देते प्राण वायु,
कहते हम जिसको ऑक्सीजन।

वर्षा के वाहक है पेड़,
सूखी धरा को करते ये प्रसन्न,
अतिवर्षा से भी होने वाले,
रोकते ये मृदा अपरदन।

पेड़ देते है सबको छाया,
पंक्षियों को देते ये शरण,
बदले में कुछ न लेते कभी,
करते जीवन भर ये हम सबका भरण-पोषण।

अगर पेड़ न होते धरती पर,
सुना होता धरती का तन,
होती ये वीरान धरा और,
न होती ये प्रकृति और मानव जीवन।
- निधि अग्रवाल

पेड़ और पौधों पर कविता | Ped Par Kavita


वृक्ष हमारे जीवन है

वृक्ष हमारे जीवन है,
ये प्रकृति का है खजाना,

धर्म हमारा इनकी रक्षा करना,
और इन्हें कटने से बचाना।

है अगर ऐ मानव ! तुमको,
अपने जीवन से प्यार,

तो रोको बढ़ते हुए,
इन वृक्षों पर अत्याचार।

करो आवश्यकताओं को सीमित अपनी,
हो न जिससे वृक्षों का व्यर्थ ही दोहन,

जीवन में अनुकूलन लाओ,
जिससे बना रहे दोनों का संतुलन।

रोज एक वृक्ष लगाओ तुम स्वयं,
लोगों में जागरूकता फैलाओ,

मानव हो तुम ऐ मानव !
सबको जागरूकता का पाठ पढ़ाओ।

अधिकारों के साथ मानव,
करते तुम वृक्षों का सदा जो दोहन,

तो आज कर्तव्य निभाकर अपना,
करो वृक्षों का तुम सरंक्षण।
- Nidhi Agarwal

वृक्ष पर कविता | Vriksh Par Kavita


एक वृक्ष करे पुकार

मत काटों ऐ मानव मुझको,
करो मुझपर उपकार।
क्यों भूल गए तुम मानव मुझको,
एक वृक्ष करे पुकार।

रहा मित्र मैं सदा तुम्हारा,
थक के थामा जब तुमने मेरा आँचल,
मैंने ही दिया तुम्हें सहारा,
भूल गए क्यों आज मुझे तुम,
क्यों करते हो मुझपर आरी से वार।

मत काटों ऐ मानव ! मुझको,
करो मुझपर उपकार।
क्यों भूल गए तुम मानव मुझको,
एक वृक्ष करे पुकार।

याद करो ऐ मित्र उस पल को,
भूखे पेट तुम सोए थे,
मेरे पास जब आकर तुम,
जाने कितना तुम रोये थे।
फिर मैंने ही भरा तुम्हारे आँचल में उम्मीदों का एक संसार।

मत काटों ऐ मानव ! मुझको,
करो मुझपर उपकार।
क्यों भूल गए तुम मानव मुझको,
एक वृक्ष करे पुकार।

फँसले तुम्हारी खेतों में जब,
बिन वर्षा सब सूख रही थी,
मानो सारी खुशियाँ तुमसे,
सारी तब रूठ रही थी,
मैंने ही भिजवा संदेशा बादलों को करवाई थी रिमझिम फुहार।

मत काटों ऐ मानव ! मुझको,
करो मुझपर उपकार।
क्यों भूल गए तुम मानव मुझको,
एक वृक्ष करे पुकार।

तुम्हारी हर एक साँसों का मुझसे,
बहुत ही गहरा नाता है,
बिन मेरे असंभव होगा जीवन तुम्हारा,
क्यों नही समझ तुम्हें आता है।
अपने हाथों क्यों कर रहे तुम अपने जीवन का संहार।

मत काटों ऐ मानव ! मुझको,
करो मुझपर उपकार।
क्यों भूल गए तुम मानव मुझको,
एक वृक्ष करे पुकार।
- निधि अग्रवाल

हमें आशा है कि आप सभी को यह पेड़ और पौधों पर कविताएँ अवश्य पसंद आयी होगी। हम अपनी कविताओं के माध्यम से आपको पेड़ के महत्त्व से अवगत कराना चाहते है और इनकी विशेषता बताना चाहते है।


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