ये प्रकृति ही हमारी सबसे बड़ी शिक्षक है। हम चारों ओर से प्रकृति से घिरे हुए, अगर कहे तो हम प्रकृति के ही अंश है। ये प्रकृति हमारी हमारी माँ के समान है। जिस प्रकार हमारी माँ हमें सब कुछ सिखाती है, उसी प्रकार ये प्रकृति भी हमें जीवन के बारें में सिखाने की कोशिश करती है।
इस प्रकृति में रहने वाले हर एक जीव-जंतु, पेड़-पौधे हमें जीवन के बारें में सीख देते है, इन्हीं जीव और जंतुओं में एक छोटी सी जीव 'चींटी' है जो देखने में भले ही छोटी हो, लेकिन जीवन में मेहनत और साहस का सबसे बड़ा पाठ पढ़ाती है। हमने अपनी कविताओं के माध्यम से इस छोटे से जीव के अदम्य साहस का वर्णन करना चाहा है। Poem on Ant in Hindi हम आपके समक्ष शेयर करते है।
इस प्रकृति में रहने वाले हर एक जीव-जंतु, पेड़-पौधे हमें जीवन के बारें में सीख देते है, इन्हीं जीव और जंतुओं में एक छोटी सी जीव 'चींटी' है जो देखने में भले ही छोटी हो, लेकिन जीवन में मेहनत और साहस का सबसे बड़ा पाठ पढ़ाती है। हमने अपनी कविताओं के माध्यम से इस छोटे से जीव के अदम्य साहस का वर्णन करना चाहा है। Poem on Ant in Hindi हम आपके समक्ष शेयर करते है।
चींटी रानी पर कविताएँ | Poem on Ant in Hindi
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Poem on Ant in Hindi |
Poem on Ant in Hindi
चींटी रानी
गिर कर उठती, आगे बढ़ती,
हर पल अग्रसर रहती चींटी।
लघु से इस जीवन में,
न जाने कितने सपने बुनती चींटी।
एकता में, समता में,
एक दूजे संग,
दुर्गम पथ पर भी चलती रहती चींटी।
सिखलाती सबको तू,
कि कठिन परिश्रम तेरा व्रत है,
यही तो जीवन का अमृत है।
गिर कर उठती, आगे बढ़ती,
हर पल अग्रसर रहती चींटी।
- Nidhi Agarwal
कहते है एक नन्ही सी चींटी अपने से बड़े जानवर हाँथी को नाँच नचा सकती है, यही पराक्रम चींटी का देखते ही बनता है। इसकी लघुता को तो सभी जानते है, लेकिन फिर भी इसके ह्रदय में असीम साहस है। उसे किसी भी स्थान पर घूमने में भय नही लगता है। वह लगातार अपने श्रम से, भोजन को एकत्र करने में दिन-रात व सुबह-शाम जुटी रहती है। चींटी लगता है मानो श्रम की साकार मूरत हो। कठोर परिश्रमी चींटी की रोचक व्याख्याय हमारी कविताओं में आपको जरूर पढ़ने को मिलेगी। हम आपके समक्ष चींटी पर कविता मैं चींटी हूँ शेयर करते है।
चींटी पर कविता | Cheeti Par Kavita
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Poem on Ant in Hindi |
मैं चींटी हूँ
नन्ही हूँ, पर थकती नही,
ठहरती हूँ, पर रुकती नही,
मैं 'चींटी' हूँ।
रास्ते दुर्गम हो, या कंटक भरे।
चलती हूँ कतारों में, कभी मैं पथ भटकती नही।
नन्ही हूँ, पर थकती नही,
ठहरती हूँ, पर रुकती नही,
मैं 'चींटी' हूँ।
शोक नही है, इस लघु जीवन का।
पल-पल में, जीवन जीती हूँ।
नन्ही हूँ, पर थकती नही,
ठहरती हूँ, पर रुकती नही,
मैं 'चींटी' हूँ।
सफल लघु, जीवन मेरा हो।
कठिन परिश्रम, मैं करती हूँ।
नन्ही हूँ, पर थकती नही,
ठहरती हूँ, पर रुकती नही,
मैं 'चींटी' हूँ।
ठहरती हूँ, पर रुकती नही,
मैं 'चींटी' हूँ।
रास्ते दुर्गम हो, या कंटक भरे।
चलती हूँ कतारों में, कभी मैं पथ भटकती नही।
नन्ही हूँ, पर थकती नही,
ठहरती हूँ, पर रुकती नही,
मैं 'चींटी' हूँ।
शोक नही है, इस लघु जीवन का।
पल-पल में, जीवन जीती हूँ।
नन्ही हूँ, पर थकती नही,
ठहरती हूँ, पर रुकती नही,
मैं 'चींटी' हूँ।
सफल लघु, जीवन मेरा हो।
कठिन परिश्रम, मैं करती हूँ।
नन्ही हूँ, पर थकती नही,
ठहरती हूँ, पर रुकती नही,
मैं 'चींटी' हूँ।
- Nidhi Agarwal
चींटी एक अतिलघु प्राणी है फिर भी उसमें जीवन की सम्पूर्ण ज्योति जगमगाती है। वह कठोर परिश्रम कर हमें अच्छी नागरिक होने का प्रमाण देती है अर्थात उसमें एक अच्छे नागरिक होने के सभी गुण है। हम मनुष्यों को भी चींटी जैसे लघु जीव से प्रेरणा लेते हुए परिश्रमी एवं अच्छा नागरिक बनने का प्रयत्न करना चाहिए तथा समाज में मिल-जुलकर निःस्वार्थ भाव से और कर्तव्यों का पालन करते हुए रहना चाहिए। हमनें भी अपनी कविताओं के जरिये एक परिश्रमी चींटी के जीवन को दर्शाना चाहा है जो है तो बहुत छोटी पर काम बहुत बड़े करती है और हमें छोटी-छोटी बातों की सीख दे जाती है। चींटी पर कविताओं में से एक कविता परिश्रमी चींटी आपके समक्ष शेयर करते है।
चींटी रानी पर कविता | Chiti Par Kavita
परिश्रमी चींटी
चींटी बोली मैं छोटी हूँ,
पर बड़ा है मेरा काम।
नही कभी मैं थकती हूँ,
कभी नही करती मैं आराम।
गिरती और संभलती हूँ,
और मैं आगे बढ़ती हूँ।
लक्ष्य कठिन या छोटा हो,
पूरा उसको करती हूँ।
आने वाले कल के लिए,
कठिन परिश्रम करती हूँ।
जीवन सफल मेरा हो,
मेहनत से न मैं डरती हूँ।
जीवन छोटा है तो क्या हुआ,
सपने बड़े बुनती हूँ।
इस छोटे से जीवन में ही,
सफलता के मोती चुनती हूँ।
पर बड़ा है मेरा काम।
नही कभी मैं थकती हूँ,
कभी नही करती मैं आराम।
गिरती और संभलती हूँ,
और मैं आगे बढ़ती हूँ।
लक्ष्य कठिन या छोटा हो,
पूरा उसको करती हूँ।
आने वाले कल के लिए,
कठिन परिश्रम करती हूँ।
जीवन सफल मेरा हो,
मेहनत से न मैं डरती हूँ।
जीवन छोटा है तो क्या हुआ,
सपने बड़े बुनती हूँ।
इस छोटे से जीवन में ही,
सफलता के मोती चुनती हूँ।
- Nidhi Agarwal
नन्हीं सी जीव चींटी हमें अपने जीवन में बहुत कुछ सिखा देती है। अपने कठिन से जीवन से, हम सबको सरलता पूर्वक कर्म करना समझा देती है। जिस प्रकार से वह अपने से बड़ी चीजों को सरलता पूर्वक उठा कर, अपने कार्य को सम्पन्न करती है और हमें प्रेरणा देती है कि हम मनुष्य को भी इसी दृणसंकल्प से अपने कार्यों को पूर्ण करना है, चाहे कितनी भी चुनौतियां हो। हमें अपने लक्ष्य से भटकना नही है। आप अपने सुझाव हमसे शेयर करिये और बताइये कि आपको Poem on Ant in Hindi कैसी लगी, अपने कमेंट के माध्यम से।
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Edited by- Somil Agarwal
Motivational poem
ReplyDeleteHelpful for my studies
ReplyDeleteThanks