प्रकृति हमें देती ही रहती है और सदा देती रहेगी। हम प्रकृति से ही है, प्रकृति के बिना हम कुछ भी नहीं है। अर्थात हम प्रकृति के कारण ही संभव है। प्रकृति को एहसास करना और इसे समझना हर किसी व्यक्ति के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा होना चाहिए और यदि कविताओं के जरिए प्रकृति को समझा जाए तो इससे बेहतर और कुछ नही हो सकता। प्रकृति हमारी एक अभिन्न मित्र की तरह है, धरती पर हम किसी भी छेत्र पर चले जाए तो हमें प्रकृति का सौंदर्य देखने को मिलता है। प्रकृति से ही हमें पीने का पानी, शुद्ध हवा, जीव-जंतु, पेड़-पौधे, अच्छा भोजन और रहने को घर मिलता है, तबही हम अपना जीवन सुखमय व्यतीत कर पाते है।
हरयाली की चूनर ओढ़े हमारी प्रकृति माँ अनेक रूपों से हमारे मन को आकर्षित करती चली आ रही है। प्रकृति का ये असीम व दुर्लभ दृश्य देखते ही हमारा मन प्रसन्नता से झूम उठता है। ऐसा लगता है मानो प्रकृति माँ हमें अपना बच्चा समझ अपनी गोद में लिए, हमें खुश करने हेतु हमें बहुत सारे उपहार दे रही हो। प्रकृति को और गहराई से समझने हेतु हम आपके समक्ष प्रकृति पर कुछ कविताएँ (Poem on Nature in Hindi) के माध्यम से शेयर करते है।
हरयाली की चूनर ओढ़े हमारी प्रकृति माँ अनेक रूपों से हमारे मन को आकर्षित करती चली आ रही है। प्रकृति का ये असीम व दुर्लभ दृश्य देखते ही हमारा मन प्रसन्नता से झूम उठता है। ऐसा लगता है मानो प्रकृति माँ हमें अपना बच्चा समझ अपनी गोद में लिए, हमें खुश करने हेतु हमें बहुत सारे उपहार दे रही हो। प्रकृति को और गहराई से समझने हेतु हम आपके समक्ष प्रकृति पर कुछ कविताएँ (Poem on Nature in Hindi) के माध्यम से शेयर करते है।
प्रकृति पर कविताएँ | Poem on Nature in Hindi
Poem on Nature in Hindi |
Poem on Nature in Hindi
आई है प्रकृति धरती पर
हरियाली की चूनर ओढ़े,
यौवन का श्रृंगार किए।
वन-वन डोले, उपवन डोले,
वर्षा की फुहार लिए।
कभी इतराती, कभी बलखाती,
मौसम की बहार लिए।
स्वर्ण रश्मि के गहने पहने,
होंठो पर मुस्कान लिए।
आई है प्रकृति धरती पर,
अनुपम सौन्दर्य का उपहार लिए।
यौवन का श्रृंगार किए।
वन-वन डोले, उपवन डोले,
वर्षा की फुहार लिए।
कभी इतराती, कभी बलखाती,
मौसम की बहार लिए।
स्वर्ण रश्मि के गहने पहने,
होंठो पर मुस्कान लिए।
आई है प्रकृति धरती पर,
अनुपम सौन्दर्य का उपहार लिए।
---Written by- Nidhi Agarwal
हमें सदा प्रक्रति का ख्याल रखना चाहिए, यह हमको इतना कुछ देती है तो हमारा भी फर्ज़ बनता है कि हमभी कुछ इसके लिए करें। ताकि यह प्रकृति का चक्र यूँ ही सदा चलता रहे। जल-वायु परिवर्तन जैसी अनेकों समस्याएं आज हमारी प्रकृति को नुक्सान पहुँचा रही है और हमें जल्दी ही इसके बारे में विचार करना होगा, नहीं तो हम प्रकृति के असीमित प्रसाधनों को खो देंगे। आज हम जितना प्रकृति से ले रहे है उतना ही उसके प्रति करने की भी जरूरत है, अन्यथा हमारा जीवन का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा। Nature Par Kavita के जरिये हम स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को और बड़ो को प्रकृति के प्रति जागरूक करना चाहते है। एक कविता प्रकृति के अनुपम उपहार आपसे साझा करते है।
प्रकृति पर कविता | Prakriti Par Kavita
प्रकृति के अनुपम उपहार
पशु-पक्षी, पेड़ और पौधे,
प्रकृति के है अनुपम उपहार।
नहीं देते केवल जीवन ही हमको,
जीने की भी कला सिखाते।
फिर अपने जीवन को स्वयं हम,
क्यों विनाश की ओर अग्रसर कर,
अपने अस्तित्व को मिटा रहे है।
आखिर कब चेतेंगे हम ?
तब जब,
प्रकृति हो जाएगी शून्य विलीन।
और मिट जायेगा इस धरा से,
हम सबका अस्तित्व,
और हम हो जायेंगे जब अस्तित्व विहीन।
---Written by- Nidhi Agarwal
जो एहसास हमें प्रकृति देती है, कोई और नही दे सकता। प्रकृति अनेकों अठखेलियां कर हम सबका मन मोह लेती है। बिन कुछ कहे, बिन कुछ सुने, हमें हर चीज़ दे देती है और आगे भी देती रहेगी। हम प्रकृति को कविताओं के जरिये अनेकों रूपों से वर्णन करते है, प्रकृति का एक रूप और हमारी प्रकृति पर कविता के जरिये।
Nature Par Kavita | Hindi Poem on Nature
प्रकृति की अठखेलियां
प्रकृति में बहार आयी,
देखकर अपने प्रेमी बसंत को,
उसके मुरझाये अधरों पर,
मधुर-मधुर सी मुस्काने छायी।
लगी वह डाली-डाली डोलने,
कुछ शरमायी सी, कुछ इतरायी सी,
अपनी अनुपम सुंदरता खोलने,
करने लगी अठखेलियां।
मिलकर अपने प्रेमी प्रियतम से,
रंग-रंग में रंग दिया बसंत ने,
उसको रंगो की होली में,
रंग-रंगीले रंग में,
मगन है दोनों हमजोली में।
देखकर अपने प्रेमी बसंत को,
उसके मुरझाये अधरों पर,
मधुर-मधुर सी मुस्काने छायी।
लगी वह डाली-डाली डोलने,
कुछ शरमायी सी, कुछ इतरायी सी,
अपनी अनुपम सुंदरता खोलने,
करने लगी अठखेलियां।
मिलकर अपने प्रेमी प्रियतम से,
रंग-रंग में रंग दिया बसंत ने,
उसको रंगो की होली में,
रंग-रंगीले रंग में,
मगन है दोनों हमजोली में।
---Written by- Nidhi Agarwal
प्रकृति के हर एक मनुष्य को इसका संतुलन बिगाड़े बिना ही, इसकी सुंदरता का आनंद उठाना चाहिए। पर्यावरण और प्रकृति के विनाश को रोकने के लिए हमें इसे स्वच्छ रखना होगा, अगर हम इस प्रकृति से कुछ लेने का हक रखते है, तो इसे कुछ देने का हक भी हमारा होना चाहिए। प्रकृति ईश्वर द्वारा प्रदान किया गया एक अद्भुत उपहार है। प्रकृति इतनी सुन्दर है कि इसमें ऐसे ही कई महत्वपूर्ण शक्तियां सम्मिलित है जो हमें खुशी और स्वस्थ जीवन प्रदान करती है। हमें आशा है कि हमारी इन कविताओं के जरिये आप सभी को प्रकृति के बारे में कुछ न कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानने का मौका मिला होगा और हमें यह भी आशा है कि आप प्रकृति के प्रति थोड़ा तो सचेत रहेंगे ही, जिससे कि प्रकृति हमें निरंतर देती रहे।
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Edited by- Somil Agarwal
Very nice mam
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteGood feeling
ReplyDeleteMam can youbplease Write a poem on sun
ReplyDeleteIts urgent to me
I have already written on this topic- Poem on Sun, just go through the menu bar and search it for Poem for Kids, and you find it there.
DeleteI liked the first poem
ReplyDeleteMadam i made my daughter recite your poem suraj chacha damak rahen hain,last year and she got the 1st prize in hindi recitation. Very nice poem maam. Thank you !
ReplyDeleteVery beautiful. Best poems ever. Your are very good and professional
ReplyDeleteयश अगर कोई हमारा निस्वार्थ सेवा करता है तो वह है प्रकृति जो हमसे बिना कुछ लिए केवल देना जानती है।
ReplyDeleteसुंदर कविता हिन्दी में