'पृथ्वी' एक मात्र ऐसा ग्रह है जहाँ जीवन संभव है। जहाँ का वातावरण हम मनुष्यों, जानवरों व अन्य पशु-पक्षियों के लिए अनुकूल है। यह पृथ्वी हमें अपने अनंत रूपों से दशकों से संवारती चली आ रही है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारा अस्तित्व इसी पृथ्वी पर ही है व पृथ्वी से ही है। अगर यह पृथ्वी सुन्दर और खिलखिलाती रहेगी, तभी यहाँ पर उपस्थित हर जीव, खासखर हम मनुष्य ख़ुशहाल व तंदरुस्त रहेंगे। परन्तु आज के युग में हम यह सब भूलते जा रहे है, इस पृथ्वी पर मौज़ूद अनंत रूपों का हम खनन कर रहे है। हम मनुष्यों को यह नहीं ज्ञात है कि जिस थाली में खा रहे है उसी में हम छेद करने में तुले हुए है, अर्थात जिस पृथ्वी ने हमें अनेकों संसाधनों से अवगत कराया है उसी को हम नष्ट करते जा रहे है। आज हम मनुष्यों को इसपर विचार करना होगा।
आज हम आपके समक्ष लेकर उपस्थित हुए है पृथ्वी पर कुछ कविताएँ, यह कविताएँ स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों व हमारे अन्य पाठकों को सीख देंगी, ताकि वह जीवनदाता ग्रह पृथ्वी को संरक्षित करने के लिए, हमारे माध्यम से थोड़ा जागरूक हो सकें।
धरती माँ
आओं हम सब मिलकर,
ये संकल्प उठाएँ,
धरती माँ को फिर से,
सुंदर और स्वच्छ बनाए।
हो सके स्वच्छ जिससे,
भूमि, जल और वायु,
आरोग्य बने, स्वस्थ रहे,
और हो सके जिससे सब दीर्घायु।
हरियाली फैली हो,
हो धरा रंगीली,
सुंदर पुष्पों से महके वन उपवन,
खेतों में फ़सलें हो फूली।
हो स्वच्छ और सुंदर नभ भी,
और पक्षी पंख लहराए,
गाए गीत खुशी के वो,
निडर वो उड़ते जाए।
आओं मिलकर हम सब,
ये संकल्प उठाएँ,
धरती माँ के आँचल को,
स्वर्ग सा सुंदर सजाएं।
जब ईश्वर ने धरती को बनाया
जब ईश्वर ने कभी,
इस धरती को बनाया होगा,
न जाने कितने रंगों को प्रकृति के,
आपस में मिलाया होगा।
सूरज से माँगी होंगी किरणें,
और फसलों को सजाया होगा,
लेके चाँद से चाँदनी,
धरती का दर्पण बनाया होगा।
लेके हवाओं से मचलना,
उसका आँचल लहराया होगा,
थोड़ा बिजलियों से लेके संगीत,
उसके मन को बहलाया होगा।
लेके बारिशों से पानी,
मोती सा छलकाया होगा,
देके मौसम के रंग भी इसको,
और भी रंगी बनाया होगा।
सजा इतने रंगों से धरा को,
वो कितना मुस्कुराया होगा,
देख अपनी अप्रितम कृति को,
फिर वो ईश्वर न जाने कितना इतराया होगा।
धरती माँ तुझे प्रणाम
धरती माँ तुझे प्रणाम,
हे! धरती माँ तुझे प्रणाम।।
जीवनदायिनी, जगदात्री,
तुझसे से है मानव का अद्भुत नाता,
तुझसे है सब पोषित,
तू ही सबकी अन्नदाता।
तू ही सबका मान और सम्मान।
धरती माँ तुझे प्रणाम।।
तेरे हरियाले आँचल को,
कभी न हम मैला होने देंगे।
तेरे निर्मल जल को हम सब,
अमृत सा पावन कर देंगे।
क्योंकि तू ही जीवन का आधार,
धरती माँ तुझे प्रणाम।।
तेरी चंदन सी मिट्टी को माँ हम,
मेहनत के रंग से रंग देंगे,
इंद्रधनुष सा सजा इसको,
रंगबिरंगी कर देंगे।
रखना माँ अपने बच्चों पर अपना विश्वास।
धरती माँ तुझे प्रणाम।।
माँ अपने आँचल के छावं में,
हर दम हमको रखना तुम,
आँधी आये या आए तूफां,
न साथ कभी छोड़ना माँ।
रखना माँ हम पर सदा अपना आशिर्वाद।
धरती माँ तुझे प्रणाम।।
धरती माँ की अहमियत को समझना हम सबका मूल कर्तव्य है, जब हमारी पृथ्वी संरक्षित होगी तभी हमारी जिंदगी में खुशहाली आएगी। हम मानव जाति अपनी पृथ्वी पर मौज़ूद अनंत श्रोतों को निरंतर प्रदूषित करते जा रहे है, जिसके चलते हमको अभी से अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अगर हम सब जल्दी नहीं चेते तो बहुत देर हो सकती है, क्योंकि धरती पर रहकर ही हम सभी मनुष्य, जीव-जंतु, पेड़ और पौधे आदि का कल्याण संभव है।
आपको यह Poems on Earth in Hindi कैसी लगी, हमें अवश्य बताए। यदि अच्छी लगी हो तो इन्हें अपने मित्रों, छोटे बच्चों व अन्य प्रिय जनों के साथ शेयर अवश्य कर दें, नीचे उपस्थित सोशल मीडिया बटन्स के माध्यम से।
आज हम आपके समक्ष लेकर उपस्थित हुए है पृथ्वी पर कुछ कविताएँ, यह कविताएँ स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों व हमारे अन्य पाठकों को सीख देंगी, ताकि वह जीवनदाता ग्रह पृथ्वी को संरक्षित करने के लिए, हमारे माध्यम से थोड़ा जागरूक हो सकें।
पृथ्वी पर कुछ कविताएँ | Poems on Earth in Hindi
Poems on Earth in Hindi |
Poem on Earth in Hindi
धरती माँ
आओं हम सब मिलकर,
ये संकल्प उठाएँ,
धरती माँ को फिर से,
सुंदर और स्वच्छ बनाए।
हो सके स्वच्छ जिससे,
भूमि, जल और वायु,
आरोग्य बने, स्वस्थ रहे,
और हो सके जिससे सब दीर्घायु।
हरियाली फैली हो,
हो धरा रंगीली,
सुंदर पुष्पों से महके वन उपवन,
खेतों में फ़सलें हो फूली।
हो स्वच्छ और सुंदर नभ भी,
और पक्षी पंख लहराए,
गाए गीत खुशी के वो,
निडर वो उड़ते जाए।
आओं मिलकर हम सब,
ये संकल्प उठाएँ,
धरती माँ के आँचल को,
स्वर्ग सा सुंदर सजाएं।
- निधि अग्रवाल
पृथ्वी पर कविता | Prithvi Par Kavita
जब ईश्वर ने धरती को बनाया
जब ईश्वर ने कभी,
इस धरती को बनाया होगा,
न जाने कितने रंगों को प्रकृति के,
आपस में मिलाया होगा।
सूरज से माँगी होंगी किरणें,
और फसलों को सजाया होगा,
लेके चाँद से चाँदनी,
धरती का दर्पण बनाया होगा।
लेके हवाओं से मचलना,
उसका आँचल लहराया होगा,
थोड़ा बिजलियों से लेके संगीत,
उसके मन को बहलाया होगा।
लेके बारिशों से पानी,
मोती सा छलकाया होगा,
देके मौसम के रंग भी इसको,
और भी रंगी बनाया होगा।
सजा इतने रंगों से धरा को,
वो कितना मुस्कुराया होगा,
देख अपनी अप्रितम कृति को,
फिर वो ईश्वर न जाने कितना इतराया होगा।
- निधि अग्रवाल
Poem on Earth Day in Hindi
धरती माँ तुझे प्रणाम
धरती माँ तुझे प्रणाम,
हे! धरती माँ तुझे प्रणाम।।
जीवनदायिनी, जगदात्री,
तुझसे से है मानव का अद्भुत नाता,
तुझसे है सब पोषित,
तू ही सबकी अन्नदाता।
तू ही सबका मान और सम्मान।
धरती माँ तुझे प्रणाम।।
तेरे हरियाले आँचल को,
कभी न हम मैला होने देंगे।
तेरे निर्मल जल को हम सब,
अमृत सा पावन कर देंगे।
क्योंकि तू ही जीवन का आधार,
धरती माँ तुझे प्रणाम।।
तेरी चंदन सी मिट्टी को माँ हम,
मेहनत के रंग से रंग देंगे,
इंद्रधनुष सा सजा इसको,
रंगबिरंगी कर देंगे।
रखना माँ अपने बच्चों पर अपना विश्वास।
धरती माँ तुझे प्रणाम।।
माँ अपने आँचल के छावं में,
हर दम हमको रखना तुम,
आँधी आये या आए तूफां,
न साथ कभी छोड़ना माँ।
रखना माँ हम पर सदा अपना आशिर्वाद।
धरती माँ तुझे प्रणाम।।
- निधि अग्रवाल
धरती माँ की अहमियत को समझना हम सबका मूल कर्तव्य है, जब हमारी पृथ्वी संरक्षित होगी तभी हमारी जिंदगी में खुशहाली आएगी। हम मानव जाति अपनी पृथ्वी पर मौज़ूद अनंत श्रोतों को निरंतर प्रदूषित करते जा रहे है, जिसके चलते हमको अभी से अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अगर हम सब जल्दी नहीं चेते तो बहुत देर हो सकती है, क्योंकि धरती पर रहकर ही हम सभी मनुष्य, जीव-जंतु, पेड़ और पौधे आदि का कल्याण संभव है।
आपको यह Poems on Earth in Hindi कैसी लगी, हमें अवश्य बताए। यदि अच्छी लगी हो तो इन्हें अपने मित्रों, छोटे बच्चों व अन्य प्रिय जनों के साथ शेयर अवश्य कर दें, नीचे उपस्थित सोशल मीडिया बटन्स के माध्यम से।
EDITED BY- SOMIL AGARWAL
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