हमारा 'पर्यावरण' प्रकृति का ही एक स्वरूप है। मानव और अन्य जीव-जन्तु इसी पर्यावरण के चारो ओर व्याप्त हैं और हमारे जीवन की प्रत्येक घटनाएं भी इसी के अंदर सम्पादित होती है। हम मनुष्य और धरती पर रहने वाले अन्य प्राणी अपनी समस्त क्रियाओं से इस पर्यावरण को प्रभावित करते है। इसी प्रकार से एक जीवधारी और उसके पर्यावरण के बीच अन्योन्याश्रय सम्बन्ध होते है।
पर्यावरण का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है, जिस प्रकार हम मनुष्य, पर्यावरण के अनेक स्रोतों का अंधाधुन उपयोग कर रहे है, हमें शीघ्र ही जागरूक होने की जरुरत है, अन्यथा हम सब अनेक प्राकृतिक स्रोतों से हाथ धो बैठेंगे। पर्यावरण के प्रति जागरूक और इसका संरक्षण करने हेतु, हर साल 5 जून को हम सब विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) के रूप में मनाते है। पर्यावरण की सुन्दर कल्पना कर और इसको संरक्षित करने के उद्देश्य हेतु, हम अपनी कविताओं के माध्यम से आपको जागरूक करना चाहते है। Poem on Environment in Hindi हम आपके समक्ष शेयर करते है।
"प्रकृति और पर्यावरण"
"धरती माँ करे पुकार"
"आओ ये संकल्प उठाए"
आज पर्यावरण संरक्षण एक ज्वलंत मुद्दा बन चुका है। प्रदुषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का क्षरण और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से हम अछूते नहीं है। जागरूकता की कमी होने के ही ये सब नतीजे है। हमें ही पर्यावरण के प्रति कुछ करना होगा, तबहि हम सब इसके असीमित संसाधनों का लाभ उठा पायेंगे अन्यथा हम सब इससे हाथ धो बैठेंगे। यह पर्यावरण पर कविताएँ बच्चे और बड़े-बूढ़े पढ़े, और अपने जीवन में पर्यावरण संरक्षण जैसी भावना को उत्पन्न करें। खासकर हमें स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को, किताबी ज्ञान से हटकर, पर्यावरण के प्रति वास्तविक ज्ञान देना होगा। हमें ही एक-दूसरे को चेताना होगा, तबहि हमारा पर्यावरण संरक्षित हो पायेगा।
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पर्यावरण का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है, जिस प्रकार हम मनुष्य, पर्यावरण के अनेक स्रोतों का अंधाधुन उपयोग कर रहे है, हमें शीघ्र ही जागरूक होने की जरुरत है, अन्यथा हम सब अनेक प्राकृतिक स्रोतों से हाथ धो बैठेंगे। पर्यावरण के प्रति जागरूक और इसका संरक्षण करने हेतु, हर साल 5 जून को हम सब विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) के रूप में मनाते है। पर्यावरण की सुन्दर कल्पना कर और इसको संरक्षित करने के उद्देश्य हेतु, हम अपनी कविताओं के माध्यम से आपको जागरूक करना चाहते है। Poem on Environment in Hindi हम आपके समक्ष शेयर करते है।
पर्यावरण पर कुछ कविताएँ | Poem on Environment in Hindi
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Poem on Environment in Hindi |
Poem on Environment in Hindi | पर्यावरण पर कविता
"प्रकृति और पर्यावरण"
कितनी मनोरम है ये धरती,
प्रकृति और ये पर्यावरण।
कल-कल बहते पानी के झरने,
हरी भरी सी धरती और इसके इंद्रधनुषीय नज़ारे।
कलरव करते नभ में पक्षी,
जीवन के राग सुनाते है।
मस्त पवन के झोंको में,
यूँही बहतें जाते हैं।
फूलों से रस को चुनने,
कितनें भौरें आते है।
कली-कली पर घूम-घूम कर,
देखो कैसे इतरातें है।
बारिश की बूंदे भी देखो,
सबके मन को भाती है।
हरा-भरा कर धरती को,
सबको जीवन दे जाती हैं।
कितनी मनोरम है ये धरती,
प्रकृति और ये पर्यावरण।
हमको जीवन देनी वाली प्रकृति का,
मिलकर करना है हम सबको सरंक्षण।
प्रकृति और ये पर्यावरण।
कल-कल बहते पानी के झरने,
हरी भरी सी धरती और इसके इंद्रधनुषीय नज़ारे।
कलरव करते नभ में पक्षी,
जीवन के राग सुनाते है।
मस्त पवन के झोंको में,
यूँही बहतें जाते हैं।
फूलों से रस को चुनने,
कितनें भौरें आते है।
कली-कली पर घूम-घूम कर,
देखो कैसे इतरातें है।
बारिश की बूंदे भी देखो,
सबके मन को भाती है।
हरा-भरा कर धरती को,
सबको जीवन दे जाती हैं।
कितनी मनोरम है ये धरती,
प्रकृति और ये पर्यावरण।
हमको जीवन देनी वाली प्रकृति का,
मिलकर करना है हम सबको सरंक्षण।
Written by- Nidhi Agarwal
पर्यावरण का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से है। हम अपने परिवेश में तरह-तरह के जीव-जंतु, पेड़-पौधे, और अन्य सजीव-निर्जीव वस्तुएँ पाते है और ये सब मिलकर हमारे पर्यावरण की रचना करते है, हम सब इन वस्तुओं से किसी न किसी तरह से अन्योन्याश्रय है। लेकिन आज यह घनिष्ठ सम्बन्ध एक सवाल सा बनता जा रहा है। जब तक हम लोगों को प्रकृति के इस अन्योन्याश्रय सम्बन्ध के प्रति एक स्वाभाविक लगाव पैदा नहीं होगा, तब तक पर्यावरण संरक्षण एक सपना ही बना रहेगा। हम अपनी कविता के माध्यम से आप सबके अन्दर यही स्वाभाविक लगाव अपनी प्रकृति के प्रति जागृत करना चाहते है। हम पर्यावरण संरक्षण पर कविता आपके समक्ष शेयर करते है।
Hindi Poem on Environment | पर्यावरण संरक्षण पर कविता
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Poem on Environment in Hindi |
"धरती माँ करे पुकार"
धरती माँ करे पुकार,
अब और न करो अत्याचार।
मत करो गोद सूनी मेरी,
लौटा दो मेरा प्यार।
आहत हो रहे मेरे सीने में,
दे दो फिर से जान।
मेरे ही सीने से पलने वाले,
क्यों हो सच से अनजान।
माँ हूँ तेरी कोई गैर नही,
जीवन हूँ तेरा कुछ और नही।
क्यों हरियाली को मेरे आँचल से,
मुझसे छीन लिया।
गला घोंटकर ममता का,
मुझसे नाता तोड़ लिया।
जर्जर हो रही मेरी काया में,
फिर से भर दो जान,
देकर मुझको मेरा अस्तित्व,
लौटा दो मेरी पहचान।
अब और न करो अत्याचार।
मत करो गोद सूनी मेरी,
लौटा दो मेरा प्यार।
आहत हो रहे मेरे सीने में,
दे दो फिर से जान।
मेरे ही सीने से पलने वाले,
क्यों हो सच से अनजान।
माँ हूँ तेरी कोई गैर नही,
जीवन हूँ तेरा कुछ और नही।
क्यों हरियाली को मेरे आँचल से,
मुझसे छीन लिया।
गला घोंटकर ममता का,
मुझसे नाता तोड़ लिया।
जर्जर हो रही मेरी काया में,
फिर से भर दो जान,
देकर मुझको मेरा अस्तित्व,
लौटा दो मेरी पहचान।
Written by- Nidhi Agarwal
हम सब जानते है कि विश्व पर्यावरण दिवस, पूरे विश्व में ५ जून को मनाया जाता है और पर्यावरण संरक्षण हम सबका कर्तव्य है। हम इस कर्तव्य को स्वतः पूर्ण करने का जिम्मा लेते है। हम इस पर्यावरण दिवस पर अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूक होने का सन्देश दे रहे है, ताकि वे लोग जो इस प्रकृति के अतुल्य संसाधनों को छति पहुँचा रहे है, उनको हमारे पर्यावरण के प्रति थोड़ी समझ आ सके। हम आपके समक्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर कविता शेयर करते है।
Hindi Poem on World Environment Day | विश्व पर्यावरण दिवस पर कविता
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Poem on Environment in Hindi |
"आओ ये संकल्प उठाए"
आओ ये संकल्प उठाए,
पर्यावरण को नष्ट होने से बचाएँ।
स्वयं भी जाग्रत हो,
और लोगो में भी चेतना जगाए।
देकर नवजीवन इस प्रकृति को,
इसका अस्तित्व बचाएँ।
जल ही जीवन है धरती पर,
इसकी हर एक बूंद बचाएँ।
संरक्षित कर इसको,
अपना भविष्य बचाएँ।
वृक्ष नही कटने पाएँ,
हरियाली न मिटने पाए,
लेकर एक नया संकल्प,
हर एक दिन नया वृक्ष लगाएँ।
ये प्रकृति ही जीवन है,
अपने जीवन को बचाएँ।
पर्यावरण को नष्ट होने से बचाएँ।
स्वयं भी जाग्रत हो,
और लोगो में भी चेतना जगाए।
देकर नवजीवन इस प्रकृति को,
इसका अस्तित्व बचाएँ।
जल ही जीवन है धरती पर,
इसकी हर एक बूंद बचाएँ।
संरक्षित कर इसको,
अपना भविष्य बचाएँ।
वृक्ष नही कटने पाएँ,
हरियाली न मिटने पाए,
लेकर एक नया संकल्प,
हर एक दिन नया वृक्ष लगाएँ।
ये प्रकृति ही जीवन है,
अपने जीवन को बचाएँ।
Written by- Nidhi Agarwal
Poem on Save Environment in Hindi | पर्यावरण बचाओं पर कविता
"पर्यावरण पर दुष्प्रभाव"
यूँही बढ़ता रहा अगर,
पर्यावरण का विनाश।
तो हो जाएगा धरा से,
जीवन का सर्वनाश।
दिखती जो है थोड़ी सी भी हरियाली,
हो जायेगी एक दिन,
धरती माँ की चादर काली।
खत्म हो जाएगा नभ से,
पंक्षियों का डेरा।
अपने प्रचंड पंख पसारे अम्बर में,
तब फिरा लेगा रवि भी अपना बसेरा।
न बारिश की बूंदे होंगी,
और न इंद्रधनुष का मंजर होगा।
चारों तरफ होगा सूनापन,
और बस बंजर ही बंजर होगा।
पर्यावरण का विनाश।
तो हो जाएगा धरा से,
जीवन का सर्वनाश।
दिखती जो है थोड़ी सी भी हरियाली,
हो जायेगी एक दिन,
धरती माँ की चादर काली।
खत्म हो जाएगा नभ से,
पंक्षियों का डेरा।
अपने प्रचंड पंख पसारे अम्बर में,
तब फिरा लेगा रवि भी अपना बसेरा।
न बारिश की बूंदे होंगी,
और न इंद्रधनुष का मंजर होगा।
चारों तरफ होगा सूनापन,
और बस बंजर ही बंजर होगा।
Written by- Nidhi Agarwal
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Edited By- Somil Agarwal
पर्यावरण पर अति सुंदर पंक्तियां
ReplyDeleteअधिक से अधिक पेड़ लगाएं,
पर्यावरण को शुद्ध बनाएं ।
ok
Deleteok
DeleteThanks for this
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