'जनसंख्या' विश्व में किसी भी देश के लिए जनसंख्या बहुत महत्व रखती है या कह लीजिये किसी भी देश की हालत व उसकी अर्थव्यवस्था उस देश की जनसंख्या पर निर्भर करती है। 'भारत' जिस देश के हम निवासी है और इसकी जनसंख्या में हम सबका अस्तित्व है। विश्व में जनसंख्या के आधार पर हमारे देश का स्थान नंबर 2 पर है और निरंतर भारत की जनसंख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है, और इसका असर हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ता दिखाई दे रहा है। बढ़ती जनसंख्या के कारण देश में बेरोजगारी बढ़ रही है और बढ़ती जनसंख्या के कारण ही वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
आज हम आपके समक्ष जनसंख्या वृद्धि से पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए कुछ जनसंख्या वृद्धि पर कविताएँ शेयर करते है, ताकि आप सब इससे उत्पन्न भयावह स्तिथि को समझ सकें और अपनी सूझ-बूझ से इससे निपटने की कोशिश कर सकें।
जनसंख्या वृद्धि पर कविताएँ | Poem on Population in Hindi
Poem on Population in Hindi |
Poem on Population in Hindi
'जनसंख्या' एक भयंकर महामारी
बढ़ती हुई ये जनसंख्या भी,
है एक भयंकर महामारी,
अगर इसी तरह से ही बढ़ता रहा इसका घनत्व,
तो खत्म हो जाएगी धरा से प्रकृति हमारी।
मच जाएगा फिर जग में हाहाकार,
करने को पूरा जब बढेंगे लोग अपना अधिकार,
होगा पतन मानवता का तब,
और बढ़ेगा विश्व में अनाचार।
हो जाएगा सभ्यता का ह्वास,
और रुक जाएगा का मनुष्य का विकास,
होगी चारों तरफ बेकारी,
नाकामयाबी और विनाश।
और एक दिन फिर,
जब होगा सब चरम पर,
निश्चित हो जाएगा इस धरा का भी अंत,
न होगी, प्रकृति और ये मानव जाति,
और न होगा ये जीवन अनंत।
- Nidhi Agarwal
जनसंख्या वृद्धि पर कविताएँ
'हम दो' - 'हमारे एक'
अगर धरा को जनसँख्या वृद्धि से है बचाना,
तो अब 'हम दो' पर 'हमारे एक' का वचन निभाना होगा।
बदलनी होगी हमें अपनी सोच,
और एक नया समाज बनाना होगा।
करने को जनसंख्या नियंत्रण,
परिवार नियोजन को अपनाना होगा।
स्वयं को जागरूक करने के साथ-साथ,
समाज में भी जागरूकता अभियान चलाना होगा।
परिवार नियोजन के महत्त्व को,
हर घर में पहुंचाना होगा।
करने जनसंख्या वृद्धि का अभियान ये सफल,
हर व्यक्ति को जिम्मेदार बनना होगा।
कर पूरा दायित्व अपना,
हर नागरिक को फर्ज निभाना होगा।
- निधि अग्रवाल
Jansankhya Par Kavita | जनसंख्या नियंत्रण पर कविता
स्वस्थ और छोटा परिवार
होगा अगर स्वस्थ और छोटा परिवार,
रहेगा तभी वहाँ ख़ुशियों का संसार।
होगी सबकी हर जरूरत पूरी,
नही रहेगी किसी की भी कोई इच्छा अधूरी।
मिलेंगे सबको सबके बराबर अधिकार,
नही होगा जिससे फिर कोई अनाचार।
स्वस्थ होगी सभी की मानसिकताएं और व्यवहार,
होंगे तब सबके सुंदर और सात्विक विचार।
होगा तब ही मनुष्य का विकास,
और होगा सफल उसका हर एक प्रयास।
होगा हर मनुष्य,
जब अपने काम में समर्पित,
तब ही हो सकेगा विश्व में भी,
अपने देश का नाम गर्वित।
- Nidhi Agarwal
जनसंख्या दिवस पर कविता
जनसंख्या वृद्धि
जनसंख्या वृद्धि,
है एक सामाजिक अभिश्राप,
नही हो पा रहा जिसके कारण इस समाज में,
एक स्वस्थ मानसिकता का विकास।
क्योंकि देदी है जिसने इतनी जटिलता,
जिससे उलझा है हर मानव,
करने को पूर्ति शारीरिक आवश्कताओं की,
जैसे रोटी कपड़ा और मकान।
कर दिया इसने हर एक मनुष्य को,
बस पेट तक ही सीमित,
बढ़ नही पा रहा वो इससे ऊपर,
जिससे हो गयी है उसकी मानसिकता संकुचित।
इस जनसंख्या वृद्धि ने प्रकृति को कर दिया है निराश,
कर नही पा रही वो जिससे मनुष्य का सही से संरक्षण,
और हो रहा है धीरे उसका स्वयं का विनाश।
इस जनसंख्या वृद्धि ने कर दी है समाज में,
अनगिनत समस्या खड़ी,
टूटती जा रही है निरंतर जिससे,
देश की संपन्नता और विकास की लड़ी।
- निधि अग्रवाल
हमें आशा है की आपको यह Poem on Population in Hindi अवश्य पसंद आयी होंगी और आपको इनसे कुछ जागरूकता अवश्य मिली होगी। हमारे देश भारत में जनसंख्या वृद्धि के कई कारण है जैसे कि सरकार द्वारा जनसंख्या को लेकर कड़क कानून जारी करने में देरी और लोगों को परिवार नियोजन कार्यक्रम की जानकारी ना होना। यह दो कारण मुख्य है जिनसे आज हमारा देश जनसंख्या जैसी बीमारी से जूझ रहा है। यदि आपको यह कविताएँ अच्छी लगी हो तो इन्हें शेयर अवश्य कर दें जिससे कि आपके अन्य मित्र भी जनसंख्या वृद्धि के प्रकोप से निज़ात दिलाने में अपना सहयोग कर सकें।
Edited By- सोमिल अग्रवाल
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