प्रकृति हमारी धरती पर अनेकों रूप में विद्यमान है, उसमें से एक रूप ऋतुओं का भी है। ऋतुएँ तो कई होती है, परन्तु वसंत ऋतु की शोभा सबसे निराली होती है। वसंत ऋतु को ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है और इसी वजह से ये ऋतुओं का राजा- 'ऋतुराज' माना जाता है। भारत की प्रसिद्धि का कारण उसकी प्राकृतिक शोभा है। लोग अपने आप को धन्य मानते है, जो भारत में रहते है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और ऋतुओं का आवागमन, हमारे देश को और भी विशेष बना देता है। ये ऋतुएँ एक-एक करके आती है और भारत माता का श्रृंगार करती है और चली जाती है।
वसंत ऋतु हमारी प्रकृति का वो रूप है, जिसे हर कवि अपनी कविताओं के माध्यम से निखारता चला आ रहा है। ईश्वर ने इस प्रकति को कई रंगों से सजाया है, जिससे ये प्रकृति बहुत ही सुंदर प्रतीत होती है। इस प्रकृति में कई मौसमों की बहारें है और इन के मौसमों में बसंत का मौसम है जो प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को एक नया रूप देकर निखार देता है। आज हम भी आपके समक्ष वसंत ऋतु की शोभा बढ़ाते हुए, वसंत ऋतु पर सुन्दर कविताएँ शेयर करते है।
लो आ गया वसंत
वसंत ऋतु हमारी प्रकृति का वो रूप है, जिसे हर कवि अपनी कविताओं के माध्यम से निखारता चला आ रहा है। ईश्वर ने इस प्रकति को कई रंगों से सजाया है, जिससे ये प्रकृति बहुत ही सुंदर प्रतीत होती है। इस प्रकृति में कई मौसमों की बहारें है और इन के मौसमों में बसंत का मौसम है जो प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को एक नया रूप देकर निखार देता है। आज हम भी आपके समक्ष वसंत ऋतु की शोभा बढ़ाते हुए, वसंत ऋतु पर सुन्दर कविताएँ शेयर करते है।
वसंत ऋतु पर सुंदर कविताएँ | Hindi Poems on Vasant Ritu
Hindi Poems on Vasant Ritu |
Hindi Poems on Vasant Ritu
लो आ गया वसंत
लो आ गया वसंत,
पतझड़ को नव जीवन मिला।
प्रकृति के मुरझाये अधरों पर,
मुस्कानों जैसा का फूल खिला।
अब तो पेड़ों पर बौर लगेंगे,
सरसों के पीले फूल खिलेंगे।
डालों पर बोलेंगी कोयल,
पक्षियों का कलरव होगा।
मन्द-मन्द सी बयार,
मन में सबके रस सा घोलेंगी।
मन में जो राग छुपे,
जाने कितने अनुराग छुपे।
अधरों पर लाकर सबके,
मन को अपना कर लेगी।
पतझड़ को नव जीवन मिला।
प्रकृति के मुरझाये अधरों पर,
मुस्कानों जैसा का फूल खिला।
अब तो पेड़ों पर बौर लगेंगे,
सरसों के पीले फूल खिलेंगे।
डालों पर बोलेंगी कोयल,
पक्षियों का कलरव होगा।
मन्द-मन्द सी बयार,
मन में सबके रस सा घोलेंगी।
मन में जो राग छुपे,
जाने कितने अनुराग छुपे।
अधरों पर लाकर सबके,
मन को अपना कर लेगी।
लो आ गया वसंत।
वसंत ऋतु प्रकृति का उपहार है। भारत प्राकृतिक शोभा संपन्न देश है। ऋतुओं में श्रेष्ठ होने के कारण वसंत को हम ऋतुराज कहते है। वसंत ऋतु पर प्रकृति का सौंदर्य अपने पूर्ण यौवन पर होता है। सभी वृक्ष और लताएँ नवपल्लवों और नवकुसुमों से सजकर झूमने लगती है। प्रकृति को नया जीवन मिलता है, और वह फिर नई उमंग के साथ सजधज कर अपनी शोभा बिखेरने लगती है। प्रकृति का यह सुन्दर और मोहक दृश्य देखने बनता है। ऐसे ही आज हमने आपके समक्ष अपनी इस छोटी सी कविता के माध्यम से ऋतुराज का चित्रांकन किया है।
प्रकृति की अठखेलियां
Written by- Nidhi Agarwal
आया है देखो बसंत
आया है देखो बसंत,
देने प्रकृति को नए रंग।
करके उसका अनुपम श्रृंगार,
आया है देखो बसंत।
डालों पर बोलती हैं कोयलें,
पौधों में खिलती है नव कोपलें।
घोलें मन में खुशियाँ अपार,
मौसम की ये नई बहार।
आया है देखो बसंत,
सजी दुल्हन सी ये धरती,
मन में उमंग सी भरती।
करके पायल सी झनकार,
देती प्रकृति को अनुपम सौंदर्य का उपहार।
आया है देखो बसंत।
Written by- Nidhi Agarwal
वसंत ऋतु प्रकृति का उपहार है। भारत प्राकृतिक शोभा संपन्न देश है। ऋतुओं में श्रेष्ठ होने के कारण वसंत को हम ऋतुराज कहते है। वसंत ऋतु पर प्रकृति का सौंदर्य अपने पूर्ण यौवन पर होता है। सभी वृक्ष और लताएँ नवपल्लवों और नवकुसुमों से सजकर झूमने लगती है। प्रकृति को नया जीवन मिलता है, और वह फिर नई उमंग के साथ सजधज कर अपनी शोभा बिखेरने लगती है। प्रकृति का यह सुन्दर और मोहक दृश्य देखने बनता है। ऐसे ही आज हमने आपके समक्ष अपनी इस छोटी सी कविता के माध्यम से ऋतुराज का चित्रांकन किया है।
Poem on Vasant Ritu in Hindi
ऋतुओं का राजा वसंत,
आ गया है हरियाली लेकर।
पौधों पे नवकुसुम खिल रहे है,
और पेड़ों पर बौर लग रहे है।
हर तरफ छाई है खुशहाली,
डालों पर बोल रही हैं कोयल।
मस्त हवाओं के झोंको से,
तन मन लगा है डोलने।
मधुर-मधुर सा प्रकृति का संगीत,
सबके मन में लगा है,
मीठा सा रस घोलने।
आ गया है हरियाली लेकर।
पौधों पे नवकुसुम खिल रहे है,
और पेड़ों पर बौर लग रहे है।
हर तरफ छाई है खुशहाली,
डालों पर बोल रही हैं कोयल।
मस्त हवाओं के झोंको से,
तन मन लगा है डोलने।
मधुर-मधुर सा प्रकृति का संगीत,
सबके मन में लगा है,
मीठा सा रस घोलने।
Written by- Nidhi Agarwal
जैसे हम कभी-कभी रचनात्मक हो उठते है, वैसे ही हमारी प्रकृति हरयाली की चूनर ओढ़े इस पृथ्वी पे अठखेलियाँ करने लगती है। जिस प्रकार हम वसंत के मौसम में रंग-बिरंगी होली का स्वागत करते है, वैसे ही यह वसंत ऋतु हमारी प्रकृति के साथ अठखेलियाँ कर रंग-बिरंगे रंगो से पूरी पृथ्वी को रंगबोर कर देता है। यह दृश्य एक कविता प्रकृति की अठखेलियां के माध्यम से आपके समक्ष हमारी Poems on Vasant Ritu in Hindi के संग्रह से प्रस्तुत है।
Vasant Ritu Par Kavita
प्रकृति में बहार आयी,
देखकर अपने प्रेमी बसंत को,
उसके मुरझाये अधरों पर,
मधुर-मधुर सी मुस्काने छायी।
लगी वह डाली-डाली डोलने,
कुछ शरमायी सी, कुछ इतरायी सी,
अपनी अनुपम सुंदरता खोलने,
करने लगी अठखेलियां।
मिलकर अपने प्रेमी प्रियतम से,
रंग-रंग में रंग दिया बसंत ने,
उसको रंगो की होली में,
रंग-रंगीले रंग में,
मगन है दोनों हमजोली में।
देखकर अपने प्रेमी बसंत को,
उसके मुरझाये अधरों पर,
मधुर-मधुर सी मुस्काने छायी।
लगी वह डाली-डाली डोलने,
कुछ शरमायी सी, कुछ इतरायी सी,
अपनी अनुपम सुंदरता खोलने,
करने लगी अठखेलियां।
मिलकर अपने प्रेमी प्रियतम से,
रंग-रंग में रंग दिया बसंत ने,
उसको रंगो की होली में,
रंग-रंगीले रंग में,
मगन है दोनों हमजोली में।
Written by- Nidhi Agarwal
बसंत को सभी ऋतुओं का राजा कहते है। इसका आगमन शरद ऋतु के बाद होता है। इस ऋतु में समस्त धरती पर हरियाली छा जाती है। आम के पेड़ों पर बौर लग जाते है। खेतों में बसंती रंग के सरसों के फूल खिल जाते है और ये प्रकृति ये हरे-हरे घाघरे पहने और पीली चुनर ओढ़े बिल्कुल दुल्हन सी नज़र आती है। दुल्हन रुपी प्रकृति और भी सुंदर-सुंदर फूलों से श्रृंगार अपने आप को और सुंदर बनाती है, जिसकी अनुपम सुंदरता से हमारा मन मंत्र-मुग्ध हो जाता है। आया है देखो बसंत एक सुंदर बसंत पर कविता आपके लिए।
Poem on Vasant Ritu in Hindi
आया है देखो बसंत
आया है देखो बसंत,
देने प्रकृति को नए रंग।
करके उसका अनुपम श्रृंगार,
आया है देखो बसंत।
डालों पर बोलती हैं कोयलें,
पौधों में खिलती है नव कोपलें।
घोलें मन में खुशियाँ अपार,
मौसम की ये नई बहार।
आया है देखो बसंत,
सजी दुल्हन सी ये धरती,
मन में उमंग सी भरती।
करके पायल सी झनकार,
देती प्रकृति को अनुपम सौंदर्य का उपहार।
आया है देखो बसंत।
-निधि अग्रवाल
हलांकि वसंत ऋतु एक छोटी सी अवधि के लिए रहता है, लेकिन यह मौसम लोगों को कुछ इस तरह प्रेरित करता है, कि लोग पूरे साल इसकी प्रशंसा और गुणगान करते है। हर साल यह मौसम हमारे जीवन में अनेकों खुशियाँ लाता है और चला जाता है, और हम लोग इसके दोबारा आने का बेसब्री से इंतज़ार करते है। दोस्तों, आपको यह वसंत ऋतु पर कविताएँ Hindi Poems on Vasant Ritu कैसी लगी, अगर अच्छी लगी हों तो इसे अपने मित्रों और परिवार जनों को सोशल मीडिया के माध्यम से साझा अवश्य करें, ताकि वे भी हमारी प्रकृति की अनुपम सुंदरता और अठखेलियों का अद्भुत वर्णन, हमारी कविताओं के द्वारा पढ़ सके।
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EDITED BY- Somil Agarwal
Vasant ritu
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