माँ सरस्वती ज्ञान, संगीत और कला की देवी मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि वसंत पंचमी के दिन ब्रह्मा जी के मुख से माँ सरस्वती का उद्गम हुआ था, जिसके चलते इस दिन को विद्या जयंती भी कहा जाता है। वसंत पंचमी के दिन हम सब घरों में, स्कूलों में, ऑफिस में माँ सरस्वती की विधि-विधान से पूजा अर्चना करते है। यह दिन हिन्दू समाज के लिए एक ख़ास पर्व जैसा लगता है।
माँ सरस्वती की वंदना करते हुए आज हम आपके समक्ष साझा करते है कुछ माँ सरस्वती पर कविताएँ, ताकि आप सब वसंत पंचमी के ख़ास अवसर पर माँ सरस्वती जी की अर्चना करें और वसंत ऋतु का स्वागत करें।
माँ सरस्वती पर कविताएँ | Poem on Maa Saraswati in Hindi
Poem on Maa Saraswati in Hindi |
माँ सरस्वती पर कविताएँ व वंदना
हे वीणावादिनी
हे वीणावादिनी! करते हम वंदन,
हे भारती! है तेरा अभिनंदन।
कलुषित उर के पाप हरो तुम,
दे दो दया का दान,
है तुमसे ये विनम्र निवेदन,
माँ कर दो मेरा कल्याण।
ऐसा वर दो मुझको, हे वरदपदा,
जीवन बन जाए अलख निरंजन।
हे वीणावादिनी! करते हम वंदन,
हे भारती! है तेरा अभिनंदन।
तम अज्ञान के, दूर करो तुम,
प्रज्जवलित कर दो जीवन मेरा,
हो जाए जिससे जग जगमग,
और धरा पर आए, एक नवल सवेरा।
ज्ञान का अमृत देकर मुझको,
कर दो मेरा तन-मन पावन।
हे वीणावादिनी! करते हम वंदन,
हे भारती! है तेरा अभिनंदन।।
जिह्वा में मृदु, रस भर दो माँ,
शब्दों को कोमलता दो,
जीत सकूँ उर अरि का भी मैं,
माँ ऐसी वाणी का वर दो।
दे विद्या का आशीर्वाद मुझे माँ,
करो मनोरथ हिय के पूरन।
हे वीणावादिनी! करते हम वंदन,
हे भारती! है तेरा अभिनंदन।
जीवन में उल्लास भरो माँ,
शोक-दम्भ से हमें बचाओं,
पीड़ित मन की सरिता में,
हे माँ! प्रसन्नता की नावँ चालाओं।
अपने सुरम्य वीणा की ध्वनि से,
जीवन में मेरे, भर दो माँ सरगम।
हे वीणावादिनी! करते हम वंदन,
हे भारती! है तेरा अभिनंदन।।
- निधि अग्रवाल
Poem on Maa Saraswati in Hindi
माँ विद्यादायिनी
दे दो माँ विद्यादायिनी,
दे दो सुर नये।
राग दे दो, दे दो शब्द नये।
ताल दे दो, वाद्य दे दो वीणावादिनी।
संगीतमय कर दो सब,
हे सुर्पूजिता, हे सुवासिनी।
हर लो हे हंसासिनी,
हर लो तम अज्ञान के।
द्वेष हर लो, दम्भ हर लो,
हर लो सब रंज हृदय के।
सत्यता दे दो, उज्जवलता दे दो,
प्रकाशमय कर दो सब, श्वेतवस्त्रधारिणी।
- Nidhi Agarwal
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