हमारा प्यारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश के रूप में जाना जाता है और यह उच्च दर्ज़ा सिर्फ और सिर्फ हमारे देश के निरंतर क्रियाशील किसानों की वजह से प्राप्त हुआ है। लगभग ६०% भारतीय लोग किसान है। वे भारत देश के रीढ़ की हड्डी के समान है। वह तरह तरह के खाद्य फसलों व तिलहनों का उत्पादन करते है और देश की जनसँख्या का लालन-पोषण करते है। भारत की जनसँख्या का एक बड़ा भाग कृषि करके अपना जीवन यापन करता है। यही लोग जो हम सबको भोजन के रूप में अन्न प्रदान करते है भारत के महान और क्रियाशील किसान कहलाते है।
आज हम आपके समक्ष साझा करते है कुछ किसान पर कविताएँ, जिससे कि आप सब एक किसान की मेहनत को समझ सकें और उनके प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट कर सकें।
किसान पर कविताएँ | Poem on Farmers in Hindi
Poem on Farmers in Hindi |
Poem on Farmers in Hindi
अपने देश का किसान
कड़ी धूप हो,
या हो कंपकपाती ठंडी,
पड़ते हों ओले,
या बारिश और बाढ़,
कभी न रुकता वो,
कभी न थकता,
न कभी वो करता विश्राम।
मेहनत करता,
अविरल वो दिन-रात,
देने सबको रोटी की सौगात,
नींद-चैन सब देता है त्याग,
अपने देश का किसान।
अपने देश का किसान।
फिर भी नही लिखा होता,
उसकी मेहनत पर,
उसकी किस्मत का नाम,
जिसके लिए उसने त्यागा था,
अपना सारा ऐश और आराम।
सच में सरल नही होता,
बनना एक किसान,
जिसके हिस्से में आता है,
बस काम ही काम,
नही मिलता कोई प्रतिफल उसको,
जिस पर है उसका ही अधिकार।
- Nidhi Agarwal
किसान पर कविता
अन्नदाता
वो किसान जो,
अन्नदाता कहलाता है,
फिर क्यों स्वयं ही,
वो भूखों मर जाता है।
सोने सी फसलों के ख़ातिर,
रहता वो वर्षा को आतुर,
राह ताकता अम्बुद की,
मल्हार गीत वो गाता है,
वो हरियाले स्वप्न सजाता है।
वो किसान जो,
अन्नदाता कहलाता है,
फिर क्यों स्वयं ही,
वो भूखों मर जाता है।
है वो स्वप्निल बीज़ों को बोता,
रहता प्रहरी दिनरात बना,
रत्ती भर को वो न सोता,
देखता जो अपनी लहलहाती फँसलें,
उसको तो जैसे जीवन मिल जाता है।
वो किसान जो,
अन्नदाता कहलाता है,
फिर क्यों स्वयं ही,
वो भूखों मर जाता है।
- निधि अग्रवाल
हमें आशा है कि आप सबको यह Poems on Farmers in Hindi अवश्य पसंद आयी होंगी, यदि अच्छी लगी हो तो इन्हें अपने मित्रों व अन्य प्रियजनों संग साझा अवश्य करदें ताकि हमारा समाज इन कविताओं के माध्यम से किसानों के प्रति थोड़ा जागरूक हो सके।
No comments:
Post a Comment