हम सबको नव वर्ष के आने का इंतज़ार बड़ा बेसब्री से होता है। इस दिन को हम लोग त्यौहार के रूप में भी मनाते है। दोस्तों को, रिश्तेदारों को बधाइयाँ देते है व सबसे खुशियाँ साझा करते है। नया साल हम सबके लिए नई उम्मीद और उत्साह लेकर आता है। लोग नए साल में अच्छी यादों को समेटकर प्रवेश करते है और बुरी यादों को पुराने साल के साथ साथ छोड़ देते है। कुछ लोग तो नए साल के उपलक्ष पर संकल्प भी लेते है और उन्हें निभाने का वादा भी करते है। मानों या न मानों १ जनवरी का दिन पूरे विश्व में त्यौहार की तरह मनाया जाता है। आइये हम भी इस दिन कुछ संकल्प ले और उनको पूरा करने के लिए तत्पर रहें। हम आपसे साझा करते है कुछ New Year Poems in Hindi, ताकि आप सब इस दिन की विशेषता और महत्त्वता को समझे, इससे प्रेरणा लेकर अपना जीवन संशोधित करने का प्रयत्न करते रहे।
नया सवेरा
नया सवेरा आएगा,
मन में हर्ष जगाएगा,
धुंधले बादल जो निराशा के,
जीवन से दूर भगाएगा।
ऐसा नववर्ष आएगा।
एक नई कहानी गढ़ने,
सपनों के नए मोती चुनने,
अधूरे सपनों को सवारनें,
जीवन की नव माला गूँथने।
फिर से नववर्ष आएगा।
जीवन की बगियाँ को महकाने,
ख़ुशियों के फूलों से सजाने,
प्रकृति की नई बहार लेकर,
फिर से जीवन को सजाएगा।
ऐसा नववर्ष आएगा।
बोली में मिठास घोलने,
हृदय के बंद द्वार खोलने,
दिलों को दिलों से जोड़ने,
प्रेम का एक नया संदेशा लाएगा।
फिर से नववर्ष आएगा।
नव वर्ष का स्वागत
नई उमंगें, नई तरंगें,
करती है नव वर्ष का फिर से नव स्वागत ।
आओं हम भी मन मुदित होकर,
इसका नव स्वागत कर लें।
नई राह हो, नई चाह हो,
जीवन में आशा का नवल प्रवाह हो।
आओं मिलकर हम जीवन को,
नव ख़ुशियों से भर लें।
नए विचार हो, जिनमें संस्कार हो,
जीवन में सात्विक आहार और विहार हो।
लेकर नव प्रेरणा आओं हम सब,
जीवन को चरितार्थ कर लें।
नवल वर्ष है, नवल हर्ष है,
नवल आकर्ष है, नवल उत्कर्ष है।
आओं हम इस नव वर्ष के मंजुल चरणों को,
प्रमोद हृदय से स्पर्श कर लें।
नव वर्ष की नवल बेला
नव वर्ष की नवल बेला में,
हर्षित और पुलकित है मन,
नई आशाओं, नई ख़ुशियों संग मिलकर,
आओं कर लें नई खुशियों का आवाहन।
प्रेरणा ले बीते पलों से,
दे नव स्वप्नों को नया आगमन।
खोलकर द्वार हृदय के,
मिटा दे कलुष सब मन के,
करने दे प्रेम जल को हृदय-द्वार का आचमन।
त्यागें भय को मन से,
हो सके जिससे त्रास का समापन।
दे निराशा से कल्पित मानस को नव आशाएं,
हो जाये जिससे जीवन में,
नई उमंगों का पर्दापण।
अलबेला नव वर्ष
हर्षित और पुलकित है हृदय,
नव वर्ष की नव मंगल बेला है।
प्रकृति में भी नई बहार है आयी,
और इंद्रधनुषी-रंग फैला है।
मन में भी है नई उमंग और तरंग,
जैसे ख़ुशियों का कोई मेला है।
हँस मिलके सब नाचे गाए,
न आज कोई अकेला है।
हृदय में कोई रंज नही है,
अपनेपन का सब खेला है।
वर्ष में कितने त्यौहार है आते,
पर नव वर्ष का त्यौहार सबसे अलबेला है।
नव वर्ष पर कविताएँ | New Year Poems in Hindi 2022
New Year Poems in Hindi 2022 |
New Year Poems 2022 in Hindi
नया सवेरा
नया सवेरा आएगा,
मन में हर्ष जगाएगा,
धुंधले बादल जो निराशा के,
जीवन से दूर भगाएगा।
ऐसा नववर्ष आएगा।
एक नई कहानी गढ़ने,
सपनों के नए मोती चुनने,
अधूरे सपनों को सवारनें,
जीवन की नव माला गूँथने।
फिर से नववर्ष आएगा।
जीवन की बगियाँ को महकाने,
ख़ुशियों के फूलों से सजाने,
प्रकृति की नई बहार लेकर,
फिर से जीवन को सजाएगा।
ऐसा नववर्ष आएगा।
बोली में मिठास घोलने,
हृदय के बंद द्वार खोलने,
दिलों को दिलों से जोड़ने,
प्रेम का एक नया संदेशा लाएगा।
फिर से नववर्ष आएगा।
- निधि अग्रवाल
नए वर्ष पर कविताएँ | New Year Poems
नव वर्ष का स्वागत
नई उमंगें, नई तरंगें,
करती है नव वर्ष का फिर से नव स्वागत ।
आओं हम भी मन मुदित होकर,
इसका नव स्वागत कर लें।
नई राह हो, नई चाह हो,
जीवन में आशा का नवल प्रवाह हो।
आओं मिलकर हम जीवन को,
नव ख़ुशियों से भर लें।
नए विचार हो, जिनमें संस्कार हो,
जीवन में सात्विक आहार और विहार हो।
लेकर नव प्रेरणा आओं हम सब,
जीवन को चरितार्थ कर लें।
नवल वर्ष है, नवल हर्ष है,
नवल आकर्ष है, नवल उत्कर्ष है।
आओं हम इस नव वर्ष के मंजुल चरणों को,
प्रमोद हृदय से स्पर्श कर लें।
-निधि अग्रवाल
Happy New Year 2022 Poems in Hindi
नव वर्ष की नवल बेला
नव वर्ष की नवल बेला में,
हर्षित और पुलकित है मन,
नई आशाओं, नई ख़ुशियों संग मिलकर,
आओं कर लें नई खुशियों का आवाहन।
प्रेरणा ले बीते पलों से,
दे नव स्वप्नों को नया आगमन।
खोलकर द्वार हृदय के,
मिटा दे कलुष सब मन के,
करने दे प्रेम जल को हृदय-द्वार का आचमन।
त्यागें भय को मन से,
हो सके जिससे त्रास का समापन।
दे निराशा से कल्पित मानस को नव आशाएं,
हो जाये जिससे जीवन में,
नई उमंगों का पर्दापण।
- निधि अग्रवाल
नए साल पर कविताएँ
अलबेला नव वर्ष
हर्षित और पुलकित है हृदय,
नव वर्ष की नव मंगल बेला है।
प्रकृति में भी नई बहार है आयी,
और इंद्रधनुषी-रंग फैला है।
मन में भी है नई उमंग और तरंग,
जैसे ख़ुशियों का कोई मेला है।
हँस मिलके सब नाचे गाए,
न आज कोई अकेला है।
हृदय में कोई रंज नही है,
अपनेपन का सब खेला है।
वर्ष में कितने त्यौहार है आते,
पर नव वर्ष का त्यौहार सबसे अलबेला है।
- निधि अग्रवाल
दोस्तों, हम सब यही सोचते है कि हमारा नया साल अच्छा ही गुज़रे, लेकिन यह तब सफल हो सकेगा जब हम पुराने साल की यादों व गलतियों से हमेशा सीखते रहे। दोस्तों, हमें आशा है कि आप सबको यह नव वर्ष पर कविताएँ अच्छी लगी होंगी। यदि पसंद आयी हो तो इन्हें अपने मित्रों व अन्य प्रिय जनों से साझा अवश्य करें।
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EDITED BY- Somil Agarwal
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