प्रदूषण किसी कारण वश नहीं अपितु हम मानव प्रजाति के साथ-साथ बढ़ते आधुनिकरण की देन है। सुबह से लेकर शाम तक हम लोग प्रदूषण की आड़ में रहते है। किसी प्रकार से हमारे प्राकृतिक संसाधनों जैसे वायु, जल, मृदा आदि को दूषित करना, एकमात्र प्रदूषण का कारण है। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण यही सब मुख्य प्रदूषण के प्रकार है जिसकी वजह से मानव प्रजाति और अन्य जीव जंतु प्रभावित हो रहे है।
वर्तमान युग में प्रदूषण हमारे लिए बहुत बड़ी समस्या बनता जा रहा है। प्रदूषण के कारण मानव जीवन व अन्य जीव-जन्तुओं के जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए प्रदूषण को रोकना बहुत आवश्यक होता जा रहा है। दोस्तों, आज हम आपके समक्ष शेयर करते है प्रदूषण पर कविताएँ, ताकि सभी विद्यार्थियों को प्रदूषण के बारे में जानकारी हो सके और उनके अंदर जागरूकता की भावना प्रकट हो सके।
प्रदूषण पर कविताएँ | Poem on Pollution in Hindi
Poem on Pollution in Hindi |
Poem on Pollution in Hindi
प्रदूषण की समस्या
प्रदूषण की समस्या से,
जूझ रहा है समस्त संसार,
हो प्रकृति या मानव जाति,
सब पर है इसका घोर प्रहार।
बढ़ रहा है बीमारियों का प्रकोप,
जीवन हो गया है दुश्वार,
ख़त्म हो रही हरियाली धरती से,
वातावरण हो गया है बेकार।
कहीं जल की समस्या के कारण,
सूखे और भुखमरी की है मार,
कही वायु प्रदूषण का संकट,
जो कर रहा सबको बीमार।
जनसँख्या वृद्धि के कारण प्रदूषण ने तो,
छीन लिए है सबके अधिकार,
जिसके कारण ही,
बेरोजगारी ने लिए अपने पैर पसार।
स्वयं ही मानव ने अपने,
दुष्कर्मों से लिया जीवन बिगाड़,
कर लिया स्वयं को पीड़ित,
और कर धरती पर मनावता को बेज़ार।
- Nidhi Agarwal
Pollution Par Kavita | प्रदूषण पर कविता
कुछ चेतो मानव तुम
कुछ चेतो मानव तुम जग के
नही तो बहुत पछताओगे,
करते रहे यूं दूषित धरती को दूषित तो,
तुम हरियाली कहाँ से पाओगे?
करते रहे जो वायु प्रदूषित,
एक पल भी न जी पाओगे,
खुली हवा में जो श्वास हो लेते,
एक श्वास को भी तरस जाओगे।
कुछ चेतो मानव तुम जग के,
नही तो बहुत पछताओगे।
जल को जो किया तुमने प्रदूषित,
धरती पर सब बंजर पाओगे,
बिन जल की बूंदों के तुम,
तनिक भी जी न पाओगे।
कुछ चेतो मानव तुम जग के,
नही तो बहुत पछताओगे।
रोको ध्वनि प्रदूषण को तुम,
वरना मानसिक रोगी बन जाओगे,
इतराते हो जो अपनी बुद्धिमता पर,
जीवन में तनिक रस न पाओगे।
कुछ चेतो मानव तुम जग के,
नही तो बहुत पछताओगे ।
रोको जनप्रदूषण जल्दी ही,
वरना बेघर तुम हो जाओगे,
रोटी, कपड़ा और मकान की समस्या से,
तुम फिर कभी पार न पाओगे।
कुछ चेतो मानव तुम जग के,
नही तो बहुत पछताओगे।
- निधि अग्रवाल
Poem on Environmental Pollution in Hindi
जागरूकता एक मुहिम
ऐ मानव! मानव हो तुम,
तो उच्च मानसिकता को अपनाओ,
हो स्वयं भी जागरूक,
और जागरूकता का एक मुहिम चलाओ।
प्रदूषण की समस्या से अवगत कर,
सब में नई चेतना जगाओं,
इसके दुष्परिणामों से,
सबको तुम परिचय करवाओ।
अगर बचाना है धरती पर जीवन,
वातावरण को तुम शुद्ध बनाओ,
रखो स्वच्छ वायु, धरती और जल,
प्रतिदिन एक नया पेड़ लगाओ।
बनो एक जिम्मेदार नागरिक,
अपनी तुम जिम्मेदारी निभाओ।
देकर अपना छोटा सा सहयोग,
सरकार का तुम साथ निभाओ।
अगर चाहते हो निरोगी जीवन तुम मानव,
धरती से प्रदूषण को हटाओ,
स्वच्छ सुंदर समाज बनाकर,
जीवन को अपने स्वस्थ बनाओ।
ऐ मानव! मानव हो तुम,
तो उच्च मानसिकता को अपनाओ।
हो स्वयं भी जागरूक,
और जागरूकता की एक मुहिम चलाओ।
- Nidhi Agarwal
दोस्तों व प्यारे बच्चों हमें आशा है कि आपको यह Poem on Pollution in Hindi जरूर पसंद आयी होगी। अगर यह प्रदूषण पर कविताएँ अच्छी लगी हो तो इन्हें अपने मित्रों के साथ शेयर अवश्य करिए, ताकि वह भी प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या से जागरूक हो सकें और इससे निपटने के लिए अपना योगदान दे सकें।
Maja aa gya nidhi Agarwal ji
ReplyDeleteSuperb nidhi agarwal ji
ReplyDeleteHi
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