Tuesday 2 July 2024

बादलों पर कविताएँ | Poem on Clouds in Hindi

प्रिय पाठकों, प्रकृति अनेक प्रकार के जीव-जन्तु , पेड़-पौधों से निर्मित है। सौन्दर्य से भरी इस धरा पर बादल मानो चार चाँद लगा देते है। इस बात से तो हम सभी अवगत है कि बादल पानी की बूँदों और धूल के कर्ण से बने होते है जब धरा पर ग्रीष्म अधिक बढ़ जाती है तो नदी, सागर आदि जलाशय से जल भाप बनकर ऊपर उठने लगता है।भाप के ऊपर उठने के दौरान कुछ धूल के कर्ण भी पानी के साथ ऊपर चले जाते है।यही पानी की बूँदें और धूल के कर्ण मिलकर बादलों(मेघ) का निर्माण करते है

बादलों पर कविताएँ | Poem on Clouds in Hindi

Poem on Clouds in Hindi

आमतौर पर बादल दो रंग के होते है - श्वेत और धूसर । श्वेत रंग के बादल में जल की मात्रा कम होती है और सूर्य की किरणें पड़ने से उनका रंग सफेद नज़र आता है । वही धूसर रंग के बादल में जल की मात्रा अधिक होती है।

Poem on Clouds in Hindi

नव जीवन दे जाते बादल

घुमड़-घुमड़ कर, गरज-गरज कर,
बारिश सी कर जाते है बादल,

नव अंकुरित हो रहे बीजों को,
जीवन सा दे जाते है बादल।

बरसों की जो आस थी उसकी,
जन्मों की जो प्यास थी उसकी,

स्वाति नक्षत्र में आकर जाने कब,
बस पल भर में पूरी कर जाते है बादल।

है तपिस बुझाते धरती की,
करते निर्मल पावन इसको,

देकर हरियाली और नए रंग प्रकृति के,
सजाते धरती का आँचल बादल।

हर मन में उमंग-उल्लास है लाते,
खुशियों से जीवन भर जाते,

दे नवनिर्माण धरा को फिर से,
फिर से इसको नव जीवन दे जाते बादल।
- निधि अग्रवाल


बादलों पर कविताएँ


घुमड़-घुमड़ की धुन बादलों की

अम्बर पर देखों कैसी,
सज रही अम्बुद कि बारात,
हुई धरा भी आश्चर्यचकित,
मिलने वाली जाने कौन सी उसको सौगात।

वन में नाचते मोर मस्ती में,
वृक्षों पर पपीहे गाए,
मौसम ने करवट क्यों बदली,
हर मन में है ये ही बात।

घुमड़-घुमड़ की धुन बादलों की,
एक नया ही राग सुनाए,
जाने कौन सा संदेशा लेकर,
मन ही मन मुस्काए।

देख अपनी प्रियसी प्रकृति को,
अम्बुद मुख से न कुछ कह पाए,
पर झर-झर झरते नैनों ने उसके,
कह दी सारी मन की बात।

आज मिलें है बरसो जो बिछड़े
खिल गए उसके कोमल गात,
सौंदर्य देख विस्मित जग सारा
मानो मिल गया प्रकति को एक नवल नया प्रभात।
                                                                                                                                     - निधि अग्रवाल


Badlo Par Kavita in Hindi



जब मेघ बरसते है

जब मेघ बरसते है
उपवन के मन हर्षते है।

सुसप्त से थे जो पड़े 
कुछ बीज धरा के गर्भ में,
वो जा उपजते है।

जब मेघ बरसते है
उपवन के मन हर्षते है।

कोपलें नव आती है डालों पर
विविध रूपों के पुष्प उनपर 
रंग भरते है।

जब मेघ बरसते है
उपवन के मन हर्षते है।

खिल जाती है प्रकृति
अनुपम सौंदर्य से,
जीवन के उसमें नव ढंग दिखते है।

जब मेघ बरसते है
उपवन के मन हर्षते है।

तितलियों और भौरों के रागों से
हो जाती है धरा भी प्रफुल्लित
देख ये सब ,सबके मन हुलसते हैं।

जब मेघ बरसते है
उपवन के मन हर्षते है।
                                                                                        - निधि अग्रवाल

हमें आशा है कि आप सभी को यह Poem on Clouds in Hindi अवश्य पसंद आयी होगी। हम अपनी कविताओं के माध्यम से आपको भिन्न- भिन्न प्रकार के विषयों के महत्त्व से आपको अवगत कराना चाहते है और उसकी विशेषता बताना चाहते है। 
Happy Reading !!!
      
                                                                       Edited by- CA Ankita Agarwal 

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