बेरोज़गारी जैसी सामाजिक समस्या आज के समय में हमारे देश भारत में बहुत तेज़ी से पैर पसारती जा रही है। आज की युवा पीढ़ी जिस प्रकार से इस समस्या का सामना कर रही है हमें नही लगता कि यह हमारे देश के हित में है। यह माना जाता है कि युवा पीढ़ी देश के नव निर्माण में हमेशा कार्ययत रहती है परन्तु यही युवा पीढ़ी अगर अपने लिए ही नही कर सकेगी तो हमारे देश के निर्माण में क्या सहयोग करेगी। यह बहुत चिंताजनक विषय है।
आज हम आपके समक्ष शेयर करते है कुछ बेरोज़गारी पर कविताएँ जिससे कि आप सब इस भयावह समस्या अवगत हो सकें और युवा पीढ़ी को इससे कुछ ज्ञान मिले ताकि वह फिर अपने लिए नया सोच कर, बेरोजगारी जैसी समस्या से बाहर आ सके।
बेरोज़गारी पर कविताएँ | Poem on Unemployment in Hindi
Poem on Unemployment in Hindi |
Poem on Unemployment in Hindi
युवां है बेरोजगार
युवाओं की सुनो पुकार,
बंद करो ये भ्रष्टाचार,
खोलो नौकरियों के द्वार,
उपलब्ध कराओं उनको रोजगार।
उन्नति नही होती है केवल,
करने से शिक्षा का प्रसार और प्रचार,
मिलता नही अर्थ जिससे मानव को,
हो जाती वो शिक्षा बेकार।
शिक्षित समाज में अगर,
एक युवां है बेरोजगार,
रुक जाती है समाज की प्रगति,
होता नही फिर उसका उत्थान।
हर एक युवा को अपने,
सपने पूरे करने का है अधिकार,
और ये हो पायेगा संभव तब ही,
जब मिलेगा उनको समानाधिकार।
- निधि अग्रवाल
बेरोज़गारी पर कविता | Berojgari Par Kavita
हाय ये बेरोजगारी
हाय ये बेरोजगारी,
ये बेकारी और लाचारी,
युवाओं के चैन उड़ाए,
उनके जीवन को नरक बनाये,
हाय ये बेरोजगारी,
ये बेकारी और लाचारी।
जाने कितने जतन किये है,
कितने एग्जाम पास किये है,
एक न काम ये आये,
नौकरी की चाहत में हमने,
उम्र काट दी सारी।
हाय ये बेरोजगारी,
ये बेकारी और लाचारी।
युवाओं के चैन उड़ाए,
उनके जीवन को नरक बनाये,
हाय ये बेरोजगारी,
ये बेकारी और लाचारी।
देखे थे हमने कितने सपने,
त्यागें सारे शौक तो अपने,
दिन-रात एक करके,
पॉकेट मनी बचाके हमने,
भरी थी टयूशन की फीस वो सारी।
हाय ये बेरोजगारी,
ये बेकारी और लाचारी।
युवाओं के चैन उड़ाए,
उनके जीवन को नरक बनाये
हाय ये बेरोजगारी,
ये बेकारी और लाचारी।
अब तो जैसे हम हार गए है,
कितने हम बेकार हो गए है,
हर बार फॉर्म भरते-भरते,
हम तो अब कंगाल हो गए है।
लगता है लुट गयी सारी खुशियाँ हमारी।
हाय ये बेरोजगारी,
ये बेकारी और लाचारी।
युवाओं के चैन उड़ाए,
उनके जीवन को नरक बनाये,
हाय ये बेरोजगारी,
ये बेकारी और लाचारी।
- Nidhi Agarwal
Unemployment Par Kavita
युवा है परेशान
हर युवा है परेशान,
उसकी समस्या का नही है कोई समाधान,
हर तरफ है बेकारी,
छाई है ऐसी बेरोजगारी,
नौकरी के नाम पर,
होता है युवाओं का शोषण,
हर तरफ है घूस का बोलबाला,
मिलती है नौकरी उसको,
जिसका है आरक्षण।
पढ़-लिखकर भी सारे युवा,
हो गए जैसे बेकार,
झेल रहे गरीबी की मार,
जीना हुआ जिनका दुश्वार।
सामान्य वर्ग में जन्म लेना अब,
जैसे हो गया कोई गुनाह,
आरक्षण के इस युग ने,
बंद कर दी सामान्य वर्ग की राह।
जब पढ़-लिखकर केवल,
खोलना चाय-पकौड़ी की दुकान।
अब तो अपने अधिकार मांगना,
खोना अपना सम्मान है।
हाय ये बेकारी,
कब तक जुल्म ये ढायेगी,
कोई तो बता दे जरा,
ये बेरोजकारी की मुसीबत,
कब युवाओं के जीवन से जाएगी।
- निधि अग्रवाल
आज असंतुलनात्मक बेरोजगारी हमारे देश के युवाओं के बीच गहरा असर करती जा रही है जिसके चलते नौजवानों को नौकरी न मिलने जैसी समस्या उत्पन्न हो रही है। देश के सरकारी संगठनों में बढ़ता भ्रष्टाचार आज देश को खोखला करता जा रहा है और ढेरों समस्या पैदा कर रहा है, जिसमें सिर्फ और सिर्फ आज की युवा पीढ़ी पिसती दिख रही है। हमें आशा है कि आप सबको यह Poems on Unemployment in Hindi अवश्य पसंद आयी होंगी। यदि अच्छी लगी हो तो इन्हें शेयर अवश्य करदें। आपका एक शेयर हमें मोटीवेट करेगा और भ्रष्ट लोगों को जागरूक करने में सहायता प्रदान करेगा।
very creative ma'am
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