दोस्तों व हमारे प्यारे बच्चों यदि हम खेल-खेल कुछ सीख गए, तो इससे बढ़िया और मजेदार तरीका कौन सा हुआ। बच्चों, हम सब कई प्रकार की सब्जियों का सेवन करते है, कुछ तो हमको बहुत प्रिय लगती है और कुछ को तो हम लोग देखना ही नहीं चाहते। लेकिन ये सब्जियाँ होती है बड़ी मजेदार। इनके सेवन से हमें ताकत व कई प्रकार के आवश्यक तत्व मिलते है, जो हमें भरपूर शक्ति प्रदान करते है। इसलिए हम सबको हर प्रकार की सब्जियों का सेवन करना चाहिए, ख़ासकर हरी सब्जियों का। ये तो हमें भरपूर मात्रा में पौष्टिक तत्व प्रदान करती है। बच्चों आप सब सब्जियों के बारे में और ज्यादा जान सकें, इनका महत्व गहराई से समझ सकें, इसलिए हम आपके समक्ष सब्जियों पर कुछ कविताएँ साझा करते है, ताकि आप सब इन सब्जियों का महत्व समझ सकें और सब्जियों का सेवन करना स्टार्ट कर दें।
इन कविताओं के जरिये हम आपका मनोरंजन भी करना चाहते है। दोस्तों, आप इनको पढ़िए और अपने बच्चों को भी पढ़कर सुनाइए, ताकि आप सबका इन कविताओं के माध्यम से मनोरंजन हो सके और सब्जियों के फायदे भी जान सकें। यह कविताएँ कक्षा केजी से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चों के लिए उपयोगी है। हम आपके समक्ष Hindi Poems on Vegetables शेयर करते है। इन कविताओं को पढ़िए और शेयर करिये।
इन कविताओं के जरिये हम आपका मनोरंजन भी करना चाहते है। दोस्तों, आप इनको पढ़िए और अपने बच्चों को भी पढ़कर सुनाइए, ताकि आप सबका इन कविताओं के माध्यम से मनोरंजन हो सके और सब्जियों के फायदे भी जान सकें। यह कविताएँ कक्षा केजी से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चों के लिए उपयोगी है। हम आपके समक्ष Hindi Poems on Vegetables शेयर करते है। इन कविताओं को पढ़िए और शेयर करिये।
सब्जियों पर हास्य कविताएँ | Hindi Poems on Vegetables
Hindi Poems on Vegetables |
Hindi Poems on Vegetables- टमाटर पर कविता
Hindi Poems on Vegetables |
टमाटर टमाटर तू है बड़ा मजेदार,
लाल रंग का होता तू,
तेरे गुण है हज़ार।
जो भी तुझको है खाता,
अपना खून है बढ़ाता।
जिस सब्ज़ी में तू पड़ जाए,
उसका स्वाद बढ़ाता।
आलू बैगन तेरे साथी,
उनसे मिलकर तू अपना,
रंग जमाता।
जो तुझको खाता,
बस तेरे ही गुण गाता।
तेरी तो हर बात निराली,
तू सबको खूब भाता।
लाल रंग का होता तू,
तेरे गुण है हज़ार।
जो भी तुझको है खाता,
अपना खून है बढ़ाता।
जिस सब्ज़ी में तू पड़ जाए,
उसका स्वाद बढ़ाता।
आलू बैगन तेरे साथी,
उनसे मिलकर तू अपना,
रंग जमाता।
जो तुझको खाता,
बस तेरे ही गुण गाता।
तेरी तो हर बात निराली,
तू सबको खूब भाता।
Written By- Nidhi Agarwal
सब्जियों पर कविता- आलू पर कविता
Sabjiyo Par Kavita |
आलू मेरा नाम,
मैं हूँ सब्जियों का राजा।
जो है मुझको खाता,
गोल-मटोल वो हो जाता।
मेरे बिना खाने में न रहती कोई जान,
मैं खाने का हूँ मान बढ़ाता।
अगर मैं ना होता,
तो कैसे बनता कचालू।
कैसे होती भरते की शोभा,
अगर उसमें न पड़ता आलू।
कैसै बनती आलू की कचौड़ी,
कैसै बनती आलू की पकौड़ी।
मेरे बिन सब होता सूना,
मैं ही बढ़ाता खानें का स्वाद दूना।
मैं हूँ सब्जियों का राजा।
जो है मुझको खाता,
गोल-मटोल वो हो जाता।
मेरे बिना खाने में न रहती कोई जान,
मैं खाने का हूँ मान बढ़ाता।
अगर मैं ना होता,
तो कैसे बनता कचालू।
कैसे होती भरते की शोभा,
अगर उसमें न पड़ता आलू।
कैसै बनती आलू की कचौड़ी,
कैसै बनती आलू की पकौड़ी।
मेरे बिन सब होता सूना,
मैं ही बढ़ाता खानें का स्वाद दूना।
Written By- Nidhi Agarwal
Hindi Rhymes on Vegetables- आलू-बैंगन पर कविता
Hindi Poems on Vegetables |
आलू-बैगन की शादी में,
हो गए बाराती तैयार।
गाजर भी अपने रंग में,
आ गया करने हलुआ तैयार।
टमाटर तो फूला न समाया,
कर दिया चटनी को माला माल।
मिर्ची ने भी रंग जमाकर,
मचा दिया शादी में धमाल।
मटर भी पनीर से बोली,
आओ हम भी हो जाए तैयार।
अपने यार की शादी में,
लुटाएं मिलकर प्यार।
पालक, गोभी और परवल भी,
भला क्यों पीछे रहते।
अपने यार की शादी का,
मज़ा वो भी क्यों न लेते।
आ गए पीछे से,
वे भी लुफ्त उठाने।
मतवाली शादी का मिलकर,
साथियों संग रंग जमाने।
फिर तो आलू-बैगन की शादी का सब पर,
ऐसा चढ़ा खुमार।
रंग-रंग के व्यंजन ने जब,
दिखाई अपनी बौछार।
हो गए बाराती तैयार।
गाजर भी अपने रंग में,
आ गया करने हलुआ तैयार।
टमाटर तो फूला न समाया,
कर दिया चटनी को माला माल।
मिर्ची ने भी रंग जमाकर,
मचा दिया शादी में धमाल।
मटर भी पनीर से बोली,
आओ हम भी हो जाए तैयार।
अपने यार की शादी में,
लुटाएं मिलकर प्यार।
पालक, गोभी और परवल भी,
भला क्यों पीछे रहते।
अपने यार की शादी का,
मज़ा वो भी क्यों न लेते।
आ गए पीछे से,
वे भी लुफ्त उठाने।
मतवाली शादी का मिलकर,
साथियों संग रंग जमाने।
फिर तो आलू-बैगन की शादी का सब पर,
ऐसा चढ़ा खुमार।
रंग-रंग के व्यंजन ने जब,
दिखाई अपनी बौछार।
Written By- Nidhi Agarwal
Poem on Vegetables in Hindi- हरी सब्जियों पर कविता
Sabjiyo Par Kavita |
हरी सब्जियों ने एक दिन,
आपस में होड़ लगाई ।
कौन गुणों वाला है सबसे,
किसने है मान- बढ़ाई।
सबसे पहले कड़वे करेले ने,
तीखे शोर में चिल्लाया।
जिसने मुझको है खाया,
शुगर को है मार भगाया।
इसके बाद हरी मटर ने,
अपना भी मुँह था खोला।
बोली गुण है थोड़े तो क्या हुआ,
जिसमें भी पड़ जाऊ उसका स्वाद बढ़ा के आऊ।
इसके बाद मूली बेचारी,
धीरे से कुछ बोली।
थोड़ा मुझको खाओगे तो,
कम हो जाएगी हाजमे की गोली।
परवल राजा भी लुढक़-लुढक़ कर,
धीमें स्वर में बोले ।
खा लो थोड़ा मुझको भी,
मेरे गुण भी हैं अलबेले।
सबसे अंत में हरी-भरी,
पालक की बारी आई।
बोली मुझको खाता जो,
बढ़ जाता है आयरन का लेवल उसका जो।
Written By- Nidhi Agarwal
Sabjiyon Par Kavita- कद्दू पर कविता
Hindi Poems on Vegetables |
एक दिन खरबूजे की,
हुई तरबूजे से हुई खूब लड़ाई।
मिलकर मोटे तरबूजे ने,
खरबूजे की फिर बैड बजाई।
डर के खीरे -ककड़ी ने,
100 नम्बर पर फ़ोन मिलाया।
अपनी सारी फौज को लेकर,
इंस्पेक्टर कद्दू दादा आया।
मोटे कद्दू दादा ने फिर,
अपना रौब जमाया।
बोले क्या माजरा है,
क्यों मुझको फ़ोन मिलाया।
इतने में लौकी रानी ने,
पूरी बात बताई।
कौन छोटा है कौन बड़ा,
इस बात पे हुई लड़ाई।
कद्दू दादा ने फिर दोनों को,
बात ये समझाई।
बोले झगड़ा बंद करो अब,
अच्छी नही लड़ाई।
न कोई छोटा है न बड़ा,
सबके अपने-अपने है गुण।
सब करते काम है अच्छा,
सब अपने में हैं निपुण।
आपस में न कभी लड़ते है,
सब है भाई-भाई।
घुल मिलकर काम करो सब,
इसमें ही है सब की भलाई।
Written By- Nidhi Agarwal
Vegetables Par Kavita- हरी मिर्च पर कविता
Hindi Poems on Vegetables |
मैं हूँ हरी मिर्च,
तीखी और मजेदार।
जिस खाने में पड़ जाऊँ,
बढ़ा दूँ खाने वाले का खाने से प्यार।
मेरे बिना नही बनती कभी चटनी,
और खट्टा मीठा अचार।
मुझसे ही है खाने का मज़ा,
और मैं ही हूँ खाने का श्रृंगार।
जिसने न खाया मुझको,
उसका जीवन बेकार।
जिसने मुझको ज्यादा खाया,
हो गया पेट उसका धुँआदार।
तीखी और मजेदार।
जिस खाने में पड़ जाऊँ,
बढ़ा दूँ खाने वाले का खाने से प्यार।
मेरे बिना नही बनती कभी चटनी,
और खट्टा मीठा अचार।
मुझसे ही है खाने का मज़ा,
और मैं ही हूँ खाने का श्रृंगार।
जिसने न खाया मुझको,
उसका जीवन बेकार।
जिसने मुझको ज्यादा खाया,
हो गया पेट उसका धुँआदार।
Written By- Nidhi Agarwal
Poems on Vegetables in Hindi- गाजर पर कविता
Hindi Poems on Vegetables |
है नारंगी रंग मेरा,
गाजर मेरा नाम।
गुण है ढ़ेरो मेरे अंदर,
मेरा बड़ा है नाम।
मुझको जो है खाता,
आंखों की रौशनी बढ़ाता।
जो मुझको न खाए,
वो हर दम ही पछताए।
मुझसे बनता है हलुआ,
मुझसे ही बनता सूप।
खाकर मेरी टेस्टी डिशेस,
सबकी बढ़ जाती भूख।
गाजर मेरा नाम।
गुण है ढ़ेरो मेरे अंदर,
मेरा बड़ा है नाम।
मुझको जो है खाता,
आंखों की रौशनी बढ़ाता।
जो मुझको न खाए,
वो हर दम ही पछताए।
मुझसे बनता है हलुआ,
मुझसे ही बनता सूप।
खाकर मेरी टेस्टी डिशेस,
सबकी बढ़ जाती भूख।
Written By- Nidhi Agarwal
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Edited By- Somil Agarwal
Amazing...
ReplyDeleteBahut achha
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