Sunday 8 December 2019

प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi

वर्तमान युग में प्रदूषण हमारे लिए बहुत बड़ी समस्या बनता जा रहा है। प्रदूषण के कारण मानव जीवन व अन्य जीव-जन्तुओं के जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए प्रदूषण को रोकना बहुत आवश्यक होता जा रहा है। दोस्तों, आज हम आपके समक्ष शेयर करते है प्रदूषण पर निबंध, ताकि सभी विद्यार्थियों को प्रदूषण के बारे में जानकारी हो सके और उनके अंदर जागरूकता की भावना प्रकट हो सके।

यह Essay on Pollution in Hindi कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होंगे और इनसे विद्यार्थियों को काफ़ी कुछ सीख मिलेगी, ताकि वह अपनी पढ़ाई के माध्यम से प्रदूषण जैसे गंभीर समस्या को समझ पाएंगे। प्रदूषण पर लेख को हमनें सभी कक्षा के विद्यार्थियों की सुविधा को देखते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में व बहुत ही सरल भाषा में लिखा है।

प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi


Essay on Pollution in Hindi, Pradushan par nibandh, Pradushan pr lekh, प्रदूषण पर निबंध, प्रदूषण पर लेख
Essay on Pollution in Hindi

Essay on Pollution in Hindi 200 Words


'प्रदूषण' मानव जीवन, पर्यावरण व अन्य जीव-जन्तुओं के लिए ज़हर समान है। यह हमारी प्रकृति और हमारे जीवन को दिन-प्रतिदिन नष्ट करता जा रहा है और हमारे अस्तित्व को विलीन कर रहा है। अपने प्राकृतिक श्रोतों जैसे हवा, पानी, वातावरण को गन्दा करना व इन्हें किसी तरह छति पहुँचाना ही प्रदूषण का कारण बनता है। प्रदूषण मुख्यता निन्म प्रकार के होते है जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, इत्यादि। इनके आलावा भी कई प्रकार के जरिये हमारा वातावरण प्रदूषित होता है।

वायु प्रदूषण- वाहनों व कारखानों से निकलने वाले धुएँ और उड़ती धूल व गन्दगी के कारण से होता है। यह सिर्फ कोई एक लोग के लिए समस्या नही है, इससे तो हर कोई जूझता दिखाई पड़ रहा है।

जल प्रदूषण- नदी, तालाब व अन्य जल श्रोतों में गन्दगी फैलना जल प्रदूषण का कारण बनता है। कारखानों से निकले अपशिष्ट पदार्थ और प्लास्टिक कचरा व अन्य वस्तुएँ जैसी गन्दगी इसमें शामिल है। यह पदार्थ हमारे अमूल्य जल श्रोतों को उपयोगहीन कर देते है, जिससे कि वर्तमान समय में ऐसे हालात हो गए है कि हमको पीने उपयोग पानी उपलब्ध नही हो पा रहा है।

ध्वनि प्रदूषण- सड़कों पर दौड़ते ढेरों वाहनों के हॉर्न से उत्पन्न शोर, बैंड व गैर तरीके से बजते साउंड सिस्टम और कारखानों में चलती मशीनों की आवाज़ ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है। यह मनुष्य को न केवल मानसिक तनाव देती है अपितु कान के रोगियों को बहुत कष्ट पहुँचाती है।

जिस प्रकार से हमारी जरूरतें बढ़ती जा रही है उसी प्रकार हमारी अलग-अलग चीज़ों निर्भरता बढ़ती जा रही है, जिसके कारण हम अपने वातावरण को प्रदूषित करते जा रहे है। इसके हम सब ही ज़िम्मेवार है। यदि हम समय रहते न चेते तो यह प्रदूषण विकराल रूप धारण कर लेगा और हम सब इसके चपेट में आते जाएँगे। अगर हम इसके उपाय की बात करें तो, हमें अधिक से अधिक मात्रा में पौधारोपण करना होगा और लोगों को प्रदूषण के प्रति जागरूक करना होगा तभी जाकर हम सब अच्छे भविष्य की कामना कर सकेंगे।

Pradushan Par Nibandh 300 Words


'प्रदूषण क्या है' हमारे स्वच्छ वातावरण में किसी प्रकार की गन्दगी का होना प्रदूषण कहलाता है। यह गन्दगी कोई भी रूप से फ़ैल सकती है, जो कि हमारे सुंदर वातावरण को दूषित कर सकती है। आज प्रदूषण केवल भारत की ही नहीं अपितु पूरे विश्व की समस्या बन चुका है। सभी देश इसके प्रकोप से जूझ रहें है और इससे छुटकारा पाने का उपाए खोज रहे है। आज हम सब सिर्फ अपनी प्रगति की ओर ध्यान दे रहे है और अपनी प्रकृति की ज़रा सी भी चिंता नही कर रहे। कहते है कि विज्ञान ने आज बहुत तरक्की कर ली है परन्तु यह प्रदूषण का पूर्ण रूप से रोकथाम करने में असफल साबित हुई है। संसार में उपस्थित सभी वस्तुएँ चाहें वह सजीव हो या निर्जीव सभी इस समस्या के चपेट में आ चुके है।

'प्रदूषण के प्रकार व दुष्प्रभाव' वर्तमान में प्रदूषण जैसी समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। लोगों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वायु प्रदूषण के होते हुए, लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है जिसके चलते लोगों को दमा, खाँसी जैसी कई अन्य फेफड़ों के सम्बन्धित बीमारियाँ हो रही है। जल प्रदूषण के होते हुए, लोग पीने हेतु पानी के लिए तरस रहें है। साफ़ पानी तो मानो अब बंद बोतलों से ही मिल पाता है क्योंकि सारे नदी व तालाब तो प्रदूषित हो चुके हैं और शहरी करण के चलते सारे कुँए व नलकूप भी सूख चुके है। मृदा प्रदूषण के होते हुए, मानव स्वास्थ पर बुरा असर पड़ रहा है। प्लास्टिक कचरा व कारखानों से निकलने वाला अपशिष्ट मृदा में गाड़ दिया जाता है जिसके चलते भूमि से उत्पन्न होने वाला अनाज और सब्जियों में जहरीले केमिकल्स मिल जाते है, जो कि मानव स्वास्थ व अन्य जीव-जंतुओं के लिए घातक है।

'प्रदूषण संतुलन के उपाय' वर्तमान समय में हमारे ऐसे हालात हो गए है कि हमें प्रदूषण जैसी भयावह स्थिति से जल्द से जल्द छुटकारा पाना होगा। यह ऐसी स्थिति है कि इससे हम लोग पूर्ण रूप से छुटकारा तो पा नही सकते परन्तु इसे कुछ हद तक संतुलित तो कर सकते है। कुछ मुख्य उपाय है जिनकी वजह से हम प्रदूषण को संतुलित कर सकते है।

'पौधारोपण व वृक्षारोपण' हमारी अपनी पृथ्वी को अगर प्रदूषण से बचाना है तो हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे। यह पेड़ हमारे जीवन के लिए बहुत मायने रखते है, यह कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर हमें ऑक्सीजन प्रदान करते है, जो कि यह प्रक्रिया प्रदूषण को संतुलित रखने में सहाय है। हमें लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है ताकि लोग प्रदूषण के प्रकोप से वंचित रह सके और इसे संतुलित करने में अपना योगदान दें। आज यही पेड़ और पौधे हमें नया जीवन दे सकते है और हमारी सृष्टि को फिर से प्रदूषण मुक्त कर सकते है।

'प्लास्टिक का उपयोग बंद करना' वर्तमान समय में कुछ ऐसे हालात है कि मानों प्लास्टिक ने हमको चारों तरफ से घेर रखा है, हमारे जीवन से ऐसा जुड़ गया है कि निकलने का नाम ही नहीं ले रहा। हम प्लास्टिक का उपयोग कर इसे कचरे की तरह फेंक देते है और यह प्लास्टिक फिर प्रदूषण का कारण बनती है। यह प्लास्टिक कभी सड़ती नही है और तरह तरह से जहरीले पदार्थ स्रावित करती रहती है। यह प्लास्टिक से उत्त्पन्न जहरीले पदार्थ फिर हवा, पानी व मृदा में मिलकर, हम सबको खाना, पीना व सॉस के माध्यम से नुकसान पहुँचाते, जो कि हमारे लिए घातक है। इसलिए हम सबको प्लास्टिक का बहिष्कार करना होगा और स्वच्छ समाज का संकल्प लेना होगा।

'वाहनों व मशीनों का सही तरीके से रखरखाव' मोटरसाइकिल, स्कूटर, कार इत्यादि का उपयोग तो हम सब करते है। अब बात आती है, इनके द्वारा उत्त्पन्न प्रदूषण की। अगर हम वाहनों व मशीनों का रखरखाव सही ढंग से नहीं करेंगे तो इनसे बहुत मात्रा में वायु व ध्वनि प्रदूषण होता है। यह कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे खतरनाक गैसे स्रावित करते है और फिर यही गैसे हमारे स्वास्थ को प्रभावित करती है।

उपर्युक्त तरीकों के अलावा बहुत से तरीके है जिनकी मदद से हम प्रदूषण को कम करने में सक्षम है, बस हमें ही इनके प्रति जागरूक होना पड़ेगा और हमें अपनी प्रकृति को प्रदूषण मुक्त करना होगा। आज हमें प्रदूषण ने ऐसी चपेट में ले रखा है कि अगर हम अब नहीं चेते तो कहीं बहुत देर न हो जाए।

Essay on Stop Pollution in Hindi 400 Words


प्रस्तावना: विज्ञान के इस आधुनिक युग में एक तरफ जहाँ हम तरक्की की राह पर है तो दूसरी तरफ यही तरक्की हमें खाख में मिला रही है। इस युग में जहाँ हमें कुछ वरदान मिलें है, तो वहीं कुछ अभिशाप भी मिले है। जिस प्रकार से हमारी जरूरतें बढ़ रही है उसी प्रकार से विज्ञान हमारी जरूरतें पूरी करने में सक्षम है। परन्तु यही विज्ञान हमें प्रदूषण जैसे महा अभिशाप दे रहा है। वाहनों व कारखानों की बढ़ती संख्या और मनुष्य की बढ़ती मांग से प्रदूषण दिन पे दिन पनपता जा रहा है। अब यही प्रदूषण मानव जीवन को खोखला करता जा रहा है। बढ़ता प्रदूषण वर्तमान समय की एक सबसे बड़ी समस्या है, जो आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत समाज में तेज़ी से बढ़ रहा है।

प्रदूषण के दुष्प्रभाव: प्रदूषण के कारण मनुष्य व अन्य जीव-जन्तु जिस वातावरण में रह रहे है और अपना जीवन यापन कर रहे है, वह दिन पे दिन खराब होता जा रहा है। प्रदूषण का सबसे बड़ा असर हमें जलवायु परिवर्तन के रूप में देखने को मिलता है, जिसे आज हम ग्लोबल वार्मिंग कहते है। कहीं अत्यधिक गर्मी सहन करनी पड़ रही है तो कहीं अत्यधिक ठंड। जिसके चलते विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ पनप रही है और मानव प्रजाति चपेट में आ रही है। यही नहीं पर्यावरण में मौजूद समस्त जीवधारियों के लिए भी ये कई प्रकार की समस्या उत्पन्न कर रहा है। वर्तमान समय में हवा, पानी, मृदा और कई अन्य प्रकृति के तत्व प्रदूषण से प्रभावित होते जा रहे है, जिसकी वजह से प्राकृतिक संतुलन नष्ट होता जा रहा है और हम मानव प्रजाति अपने ही लक्षणों के शिकार होते जा रहें है। जहरीली हवा और पानी के मारे जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। आज मानव प्रजाति अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार कर अपना ही अस्तित्व खत्म करने की कग़ार पर खड़ी है।

प्रदूषण के कारण और प्रकार: प्रदूषण किसी कारण वश नहीं अपितु हम मानव प्रजाति के साथ-साथ बढ़ते आधुनिकरण की देन है। सुबह से लेकर शाम तक हम लोग प्रदूषण की आड़ में रहते है। किसी प्रकार से हमारे प्राकृतिक संसाधनों जैसे वायु, जल, मृदा आदि को दूषित करना, एकमात्र प्रदूषण का कारण है। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण यही सब मुख्य प्रदूषण के प्रकार है जिसकी वजह से मानव प्रजाति और अन्य जीव जंतु प्रभावित हो रहे है। औद्योगीकरण, अंधाधुन प्लास्टिक का उपयोग, खेतों में कीटनाशकों का उपयोग, कारखानों से निकलता अपशिष्ट, अत्यधिक वाहनों की बढ़ती संख्या, आदि इन सबके कारण से आज जल, वायु और मृदा प्रदूषित हो रहे है।

दोस्तों व प्यारे बच्चों हमें आशा है कि आपको यह Essay on Pollution in Hindi जरूर पसंद आया होगा। अगर यह प्रदूषण पर निबंध अच्छा लगा हो तो इसे अपने मित्रों के साथ शेयर अवश्य करिए, ताकि वह भी प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या से जागरूक हो सकें और इससे निपटने के लिए अपना योगदान दे सकें।
WRITTEN BY- SOMIL AGARWAL

No comments:

Post a Comment

Most Recently Published

नदियों पर कविताएँ | Poem on Rivers in Hindi

प्रिय मित्रों, प्रकृति की सुंदरता से तो सभी अवगत है। ईश्वर ने ये प्रकृति इतनी सुंदर बनाई है कि इसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है। ये पहाड़, झरन...