दोस्तों, आज हम आपके समक्ष शेयर कर रहे है कुछ Poems on Krishna in Hindi, इन कविताओं के जरिये हमने श्री कृष्ण के अनमोल चरित्र का अद्भुत चित्रांकन किया है।
मेरे घनश्याम
न मैं सीता, न मैं शबरी,
न राधा, न मीरा।
पर तुम श्याम वही मेरे घनश्याम,
राम वही रघुवीरा।
न मैं राधा, न मैं मीरा...
मैं तो तेरी प्रेम दीवानी,
तेरी धुन में हूँ मस्तानी।
मैं हूँ एक जोगन और एक फ़कीरा,
न मैं राधा न मैं मीरा...
मोह नही मुझे, प्रेम में बाँधों,
मुझको अपना मीत बना लो।
ऐसा तारासो मुझको प्रियवर,
बन जाऊं मैं कोरक से हीरा।
न मैं राधा न मैं मीरा...
भाव सागर में, मैं डूबी हूँ।
जाने किस सीपी की मोती हूँ।
चुनकर अपनी माला में मुझको,
हरलो एकांकी जीवन की पीरा।
न मैं राधा न मैं मीरा...
मेरे कान्हा
कान्हा कान्हा रटते रटते,
मैं कान्हा हो जाऊं।
वृन्दावन सा पुष्प बनु मैं,
प्रेम की माला में गुथ जाऊँ,
ऐसी महकूँ ऐसी महकूँ
कि मैं तो मधुवन बन जाऊँ।
कान्हा कान्हा रटते रटते,
मैं कान्हा हो जाऊँ।
मान करूँ न, न अभिमान करूं,
तेरे चरणों की रज बन जाऊँ,
ऐसा बन जाये ये जीवन,
तुम बन जाओ मधुर हृदय और
मैं उसकी धड़कन बन जाऊँ।
कान्हा कान्हा रटते रटते,
मैं कान्हा हो जाऊँ।
मोर मुकुट पर वारि जाऊं,
मुरली की धुन पर नाचूँ गाउँ,
नैनन नीरनिधि में डूंबू,
ऐसी डूंबू की तर जाऊं।
कान्हा कान्हा रटते रटते,
मैं कान्हा हो जाऊँ।
साँवली सुरतिया
साँवली सुरतिया ने तेरी ओ कान्हा,
कैसा जादू किया है।
तेरी लकुट कमरियाँ ने तो,
मेरे मन को मोह लिया है।
साँवली सुरतिया...
चरण कमल की पैजनियाँ ने,
ऐसा संगीत किया है।
कि हो गयी दीवानी, मैं मोहन !
जग को छोड़ दिया है।
साँवली सुरतिया...
नैनन के कजरारे बदरा ने,
मेरे मन को घेर लिया है।
बरस बरस के हृदय पुंज को,
उज्ज्वल पुनीत किया है।
साँवली सुरतिया...
घुंघराली घुंघराली लट ने मुझको,
ऐसा उलझन में डाला।
जिसकी उलझन ने मेरे जीवन की,
हर अटकन को सुलझा दिया है।
साँवली सुरतिया...
हमें आशा है कि आप सबको यह श्री कृष्ण पर कविताएँ अवश्य पसंद आयी होंगी। यदि अच्छी लगीं हो तो इन्हें अपने प्रियजनों के साथ शेयर अवश्य करें।
श्री कृष्ण पर कविताएँ | Poem on Krishna in Hindi
Poem on Krishna in Hindi |
Poem on Krishna in Hindi
ओ कान्हा!
रंग दे मुझको अपनी प्रीत में,
कान्हा ! मैं हूँ तेरी दीवानी।
तेरी मुरली की धुन की,
मैं हूँ प्रेमदिवानी।
न मैं मीरा, न मैं राधा,
मैं तो हूँ बस सीधी सादी,
देकर भक्ति की शक्ति अपनी,
पूर्ण करो करो ये जीवन आधा।
आन बसों इन नैनन में
बन बादल कजरारे,
नदियाँ से इन नैनन में
ले फिर हम चरण पखारे।
बरसो फिर जीवन में बरखा से,
धुल जाए जिससे जीवन के,
सारे कलुष हमारे।
हृदय पुंज के दीपक में,
बाती बन प्रेम की जल जाओ।
मेरे रोम-रोम में ओ कान्हा!
तुम तो ऐसे बस जाओ।
जीवन बन जाये मधुवन मेरा,
चंदन सा इसको महकाओ।
रंग दे मुझको अपनी प्रीत में,
कान्हा ! मैं हूँ तेरी दीवानी।
तेरी मुरली की धुन की,
मैं हूँ प्रेमदिवानी।
न मैं मीरा, न मैं राधा,
मैं तो हूँ बस सीधी सादी,
देकर भक्ति की शक्ति अपनी,
पूर्ण करो करो ये जीवन आधा।
आन बसों इन नैनन में
बन बादल कजरारे,
नदियाँ से इन नैनन में
ले फिर हम चरण पखारे।
बरसो फिर जीवन में बरखा से,
धुल जाए जिससे जीवन के,
सारे कलुष हमारे।
हृदय पुंज के दीपक में,
बाती बन प्रेम की जल जाओ।
मेरे रोम-रोम में ओ कान्हा!
तुम तो ऐसे बस जाओ।
जीवन बन जाये मधुवन मेरा,
चंदन सा इसको महकाओ।
- Nidhi Agarwal
श्री कृष्ण पर कविता
मेरे घनश्याम
न मैं सीता, न मैं शबरी,
न राधा, न मीरा।
पर तुम श्याम वही मेरे घनश्याम,
राम वही रघुवीरा।
न मैं राधा, न मैं मीरा...
मैं तो तेरी प्रेम दीवानी,
तेरी धुन में हूँ मस्तानी।
मैं हूँ एक जोगन और एक फ़कीरा,
न मैं राधा न मैं मीरा...
मोह नही मुझे, प्रेम में बाँधों,
मुझको अपना मीत बना लो।
ऐसा तारासो मुझको प्रियवर,
बन जाऊं मैं कोरक से हीरा।
न मैं राधा न मैं मीरा...
भाव सागर में, मैं डूबी हूँ।
जाने किस सीपी की मोती हूँ।
चुनकर अपनी माला में मुझको,
हरलो एकांकी जीवन की पीरा।
न मैं राधा न मैं मीरा...
- Nidhi Agarwal
Poem on Shri Krishna in Hindi
मेरे कान्हा
कान्हा कान्हा रटते रटते,
मैं कान्हा हो जाऊं।
वृन्दावन सा पुष्प बनु मैं,
प्रेम की माला में गुथ जाऊँ,
ऐसी महकूँ ऐसी महकूँ
कि मैं तो मधुवन बन जाऊँ।
कान्हा कान्हा रटते रटते,
मैं कान्हा हो जाऊँ।
मान करूँ न, न अभिमान करूं,
तेरे चरणों की रज बन जाऊँ,
ऐसा बन जाये ये जीवन,
तुम बन जाओ मधुर हृदय और
मैं उसकी धड़कन बन जाऊँ।
कान्हा कान्हा रटते रटते,
मैं कान्हा हो जाऊँ।
मोर मुकुट पर वारि जाऊं,
मुरली की धुन पर नाचूँ गाउँ,
नैनन नीरनिधि में डूंबू,
ऐसी डूंबू की तर जाऊं।
कान्हा कान्हा रटते रटते,
मैं कान्हा हो जाऊँ।
- Nidhi Agarwal
Shri Krishna Par Kavita
साँवली सुरतिया
साँवली सुरतिया ने तेरी ओ कान्हा,
कैसा जादू किया है।
तेरी लकुट कमरियाँ ने तो,
मेरे मन को मोह लिया है।
साँवली सुरतिया...
चरण कमल की पैजनियाँ ने,
ऐसा संगीत किया है।
कि हो गयी दीवानी, मैं मोहन !
जग को छोड़ दिया है।
साँवली सुरतिया...
नैनन के कजरारे बदरा ने,
मेरे मन को घेर लिया है।
बरस बरस के हृदय पुंज को,
उज्ज्वल पुनीत किया है।
साँवली सुरतिया...
घुंघराली घुंघराली लट ने मुझको,
ऐसा उलझन में डाला।
जिसकी उलझन ने मेरे जीवन की,
हर अटकन को सुलझा दिया है।
साँवली सुरतिया...
- Nidhi Agarwal
हमें आशा है कि आप सबको यह श्री कृष्ण पर कविताएँ अवश्य पसंद आयी होंगी। यदि अच्छी लगीं हो तो इन्हें अपने प्रियजनों के साथ शेयर अवश्य करें।
Thank you so much NIDHI DIDI itni achhi kavita likhne ke liye...
ReplyDeleteSansaar pr Nhi Sansaar ko rachne wale pr apne kavita Likhi SHREE krishna ko hi apne apna sabkuchh maan liyaa hai.
😊🙏😊
so sweet and adorable poem. jo kanha se prem nhi karta v bhi yeh kavita sunke kanha se prem karne lagenge
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविताए लिखी है आपने।
ReplyDeleteHeart touching poem nidhi didi thanks for writing this poem
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