मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है। यह अन्य पक्षियों की तुलना बहुत ही सुन्दर और रंग-बिरंगा होता है। अपने आकार व पंखों के कारण यह मोर बड़ा ही सुन्दर और आकर्षक लगता है। इसकी सुंदरता की झलक वर्तमान समय में तो दिखती है ही साथ ही इसकी सुंदरता और कोमलता की गाथा भारतीय परंपराओं और संस्कृतिक में भी दिखाई देती है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसका विवरण ढेरों कवि अपनी कविताओं के जरिये देते चले आ रहे है और यह उनको आनंदविभोर कर उनकी रचनाओं को निखारता चला आ रहा है।
हम भी आनंदविभोर होकर, आपके समक्ष कुछ राष्ट्रीय पक्षी मोर पर कविता साझा करते है। यह कविताएँ हमारे पाठकों को खासकर पढ़ने वाले बच्चों को ध्यान में रखकर बहुत ही सरल भाषा में लिखी है, जिससे कि हमारे प्रिय बच्चे हमारी कविताओं के जरिये मोर जैसे अद्भुत व सुन्दर पक्षी के बारे में जानकारी हांसिल कर सकें।
हम भी आनंदविभोर होकर, आपके समक्ष कुछ राष्ट्रीय पक्षी मोर पर कविता साझा करते है। यह कविताएँ हमारे पाठकों को खासकर पढ़ने वाले बच्चों को ध्यान में रखकर बहुत ही सरल भाषा में लिखी है, जिससे कि हमारे प्रिय बच्चे हमारी कविताओं के जरिये मोर जैसे अद्भुत व सुन्दर पक्षी के बारे में जानकारी हांसिल कर सकें।
राष्ट्रीय पक्षी मोर पर कविता | Poem on Peacock in Hindi
Poem on Peacock in Hindi |
Poem on Peacock in Hindi
जंगल में नाचा मोर
जंगल में नाचा मोर,
जब छाई सावन की घटा घनघोर।
चारों ओर मच गया शोर,
देखों! देखो! नाचा मोर।
तोतें आएँ, कौंवे आएँ,
सारे पक्षी दौड़ के आएँ।
देख इंद्रधनुषी पंखों को मयूर के,
सारे अपने रूप पर शरमाए।
बादल गरजें, बूंदे बरसें,
प्रकृति में खुशियां छाई चहु ओर।
पंखों को फैलाकर देखों,
वन-वन नाचे, छम-छम नाचे मोर।
प्रकृति में छा गयी हरियाली,
बंध गयी हो जैसे कोई ख़ुशियों की डोर।
रंग-बिरंगी धरती को देख,
देखो नाचे सतरंगी मोर।
बच्चे देखें, बूढ़े देखें
सबके मन को हर्षाए मोर।
अपने मनमोहक नृत्य से,
सबको खूब लुभाए मोर।
जंगल में नाचा मोर,
जब छाई सावन की घटा घनघोर।
चारों ओर मच गया शोर,
देखों! देखो! नाचा मोर।
पक्षियों का राजा- मोर
मैं हूँ पंक्षियों का राजा,
नाम है मेरा मोर।
सतरंगी पंखों से करता मैं,
सबके मन को आनंद-विभोर।
राष्ट्रीय पक्षी मैं कहलाता,
मेरे नाम अनेक।
इंद्रधनुष सा दिखता मैं,
हृदय से हूँ मैं नेक।
वर्षा-ऋतु है मुझको प्रिय,
सावन भी मुझको है भाता।
अपने मनमोहक नृत्य से,
सबके मन को मैं हूँ लुभाता।
आचार से, विचार से,
मैं हूँ सबसे पवित्र।
सारे खग मेरे सखा,
और ये प्रकृति भी है मेरी मित्र।
मेरी मधुरतम बोली मीठी,
कान में मीठा सा रस घोलें।
रंग-बिरंगें से पंख मेरे,
देख! सबका मन है डोले।
मयूर
इंद्रधनुषी रंगों से सुसज्जित,
वर्षा ऋतु को शोभायमान करता।
भारत वर्ष का गौरव,
सबके हृदय को प्रफुल्लित करता।
विहगों में सर्वोत्तम और विशिष्ट,
पवित्र जीवन बनाता इसको उत्कृष्ट।
श्याम चित्त की शोभा की गरिमा,
कर देता है इसको देवनिर्दिष्ट।
नंदन और उपवन को,
गुंजायमान कर, करता आकर्षित।
नृतकप्रिय, मनमोहक है,
सबके मन को करता हर्षित।
मयूर, मोर नाम है इसके,
नीलकंठ नाम से भी है प्रचलित।
कृष्ण प्रिय ये कहलाता,
अपनी कला से उपवन को करता सुशोभित।
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा प्रस्तुत की गयी Poems on Peacock in Hindi अवश्य पसंद आयी होंगी। अगर उपर्युक्त कविताएँ आपको जरा सी भी पसंद आयी हो तो इन्हें अपने दोस्तों, परिवार जनों व बच्चों के साथ शेयर करना ना भूलें। यदि आपको इस लेख से सम्बंधित कोई सवाल हो या आप हमें कोई सुझाव देना चाहते है, तो आप हमें कमेंट करके अवश्य बता सकते है। आपके सवाल व सुझाव हमें और अच्छा करने की प्रेरणा देंगे।
जंगल में नाचा मोर,
जब छाई सावन की घटा घनघोर।
चारों ओर मच गया शोर,
देखों! देखो! नाचा मोर।
तोतें आएँ, कौंवे आएँ,
सारे पक्षी दौड़ के आएँ।
देख इंद्रधनुषी पंखों को मयूर के,
सारे अपने रूप पर शरमाए।
बादल गरजें, बूंदे बरसें,
प्रकृति में खुशियां छाई चहु ओर।
पंखों को फैलाकर देखों,
वन-वन नाचे, छम-छम नाचे मोर।
प्रकृति में छा गयी हरियाली,
बंध गयी हो जैसे कोई ख़ुशियों की डोर।
रंग-बिरंगी धरती को देख,
देखो नाचे सतरंगी मोर।
बच्चे देखें, बूढ़े देखें
सबके मन को हर्षाए मोर।
अपने मनमोहक नृत्य से,
सबको खूब लुभाए मोर।
जंगल में नाचा मोर,
जब छाई सावन की घटा घनघोर।
चारों ओर मच गया शोर,
देखों! देखो! नाचा मोर।
- Nidhi Agarwal
राष्ट्रीय पक्षी मोर पर कविता
पक्षियों का राजा- मोर
मैं हूँ पंक्षियों का राजा,
नाम है मेरा मोर।
सतरंगी पंखों से करता मैं,
सबके मन को आनंद-विभोर।
राष्ट्रीय पक्षी मैं कहलाता,
मेरे नाम अनेक।
इंद्रधनुष सा दिखता मैं,
हृदय से हूँ मैं नेक।
वर्षा-ऋतु है मुझको प्रिय,
सावन भी मुझको है भाता।
अपने मनमोहक नृत्य से,
सबके मन को मैं हूँ लुभाता।
आचार से, विचार से,
मैं हूँ सबसे पवित्र।
सारे खग मेरे सखा,
और ये प्रकृति भी है मेरी मित्र।
मेरी मधुरतम बोली मीठी,
कान में मीठा सा रस घोलें।
रंग-बिरंगें से पंख मेरे,
देख! सबका मन है डोले।
- Nidhi Agarwal
Peacock Par Kavita | Mor Par Kavita
मयूर
इंद्रधनुषी रंगों से सुसज्जित,
वर्षा ऋतु को शोभायमान करता।
भारत वर्ष का गौरव,
सबके हृदय को प्रफुल्लित करता।
विहगों में सर्वोत्तम और विशिष्ट,
पवित्र जीवन बनाता इसको उत्कृष्ट।
श्याम चित्त की शोभा की गरिमा,
कर देता है इसको देवनिर्दिष्ट।
नंदन और उपवन को,
गुंजायमान कर, करता आकर्षित।
नृतकप्रिय, मनमोहक है,
सबके मन को करता हर्षित।
मयूर, मोर नाम है इसके,
नीलकंठ नाम से भी है प्रचलित।
कृष्ण प्रिय ये कहलाता,
अपनी कला से उपवन को करता सुशोभित।
- Nidhi Agarwal
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा प्रस्तुत की गयी Poems on Peacock in Hindi अवश्य पसंद आयी होंगी। अगर उपर्युक्त कविताएँ आपको जरा सी भी पसंद आयी हो तो इन्हें अपने दोस्तों, परिवार जनों व बच्चों के साथ शेयर करना ना भूलें। यदि आपको इस लेख से सम्बंधित कोई सवाल हो या आप हमें कोई सुझाव देना चाहते है, तो आप हमें कमेंट करके अवश्य बता सकते है। आपके सवाल व सुझाव हमें और अच्छा करने की प्रेरणा देंगे।
EDITED BY- Somil Agarwal
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