Saturday 23 May 2020

वर्षा ऋतु पर कविताएँ | Poem on Rainy Season in Hindi

मौसम चाहें गर्मी का हो या सर्दी का, वसंत ऋतु हो या वर्षा ऋतु। हम सभी को अलग-अलग ऋतुएँ खूब भाती है। भारत में चार मुख्य ऋतुओं में वर्षा ऋतु एक प्रमुख ऋतु में से है। यह हर साल गर्मी के मौसम के बाद जुलाई से शुरू होकर सितम्बर तक रहती है। इस ऋतु का हम सभी को बहुत बेसब्री से इंतज़ार रहता है क्योंकि यही एकमात्र ऋतु हमें गर्मी से राहत दिलाती है। जब मेघ गरजते है और अपने अंदर सिमटे हुए निर्मल सी धारा से धरती को तृप्त करते है, यह दृश्य देखते ही बनता है।

वर्षा ऋतु के सुन्दर व अद्भुद दृश्य की कल्पना कर हम आपके लिए लेकर उपस्थित हुए है कुछ Poem on Rainy Season in Hindi, जिससे की आप सब हमारे द्वारा कल्पित कविताओं के माध्यम से वर्षा का अद्भुद नज़ारा अपने समक्ष प्रस्तुत कर सकें। हमने यह कविताएँ छोटे बच्चों व अन्य पाठकों को ध्यान में रखते हुए बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की है। यह कविताएँ कक्षा १ से लेकर कक्षा १० तक के विद्यार्थियों के लिए उनके ग्रह कार्य में उपयोगी साबित होंगी।

वर्षा ऋतु पर कविताएँ | Poem on Rainy Season in Hindi


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अम्बुद का स्वर

देखो ! देखो ! अम्बर पर देखो,
छाया है अम्बुद का स्वर,

कड़-कड़ कड़के चपल दामिनी,
अंगड़ाइयां लेती नदियाँ और सागर।

पवन हुई मस्तानी डोले,
पेड़ो के मन खाये हिचकोले,

भीनी-भीनी सी ख़ुशबू मिट्टी की,
तन-मन में मीठा रस सा घोले।

सावन की मधुर बेला में,
खिल उठे उपवन भी,

इंद्रधनुषी पंखों को फैलाकर,
हुआ मयूर भी मनभावन।

गाये गीत पपीहा सुर में,
चाहु ओर है खुशहाली,

पड़ी मेह की बूदें जब धरा पर,
लगी डोलने प्रकृति डाली-डाली।
- Nidhi Agarwal

वर्षा ऋतु पर कविता | Varsha Ritu Par Kavita


प्रकृति में उल्लास

रिमझिम सी बारिश की बूंदे,
जब-जब धरा पर आती है।

संग अपने नई उम्मीदों का,
एक नया संदेशा लाती है।

अमृत सी बूंदे जब उसकी,
पड़ती है प्यासी ज़मी पर,

खिल उठता है रोम-रोम उसका,
और फिर से वो मुस्काती है।

खिल उठते है आँचल में उसके,
रंग-बिरंगे से सुमन,

जिसकी ख़ुशबू से प्रसन्नचित होकर,
और प्रकृति भी उल्लास मनाती है।
- निधि अग्रवाल

Rainy Season Par Kavita Hindi Mein


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बारिश की बूंदे

बारिश की बूंदे कहती है क्या?
कौन हूँ मैं? कहाँ से आई?
मुझको नही पता।
बरसती रहती हूँ हरदम,
थामें अपने मन को।
कहती हूँ हरदम,
कि काश कोई हवाँ का झोंका आता,
लेकर बाहों में मुझको,
मेरा मन बहला जाता।
पर फिर कहती है वो,
कौन हूँ मैं?
मेरा अस्तित्व है क्या?
मुझको नही पता।
बरसते रहना है जीवन में,
नही कहीं पर है जाना,
देकर इस धरती को जीवन,
मिट्टी में है मिल जाना।
- Nidhi Agarwal

Rain Par Kavita | Poem on Rain in Hindi


मेरा उपवन

"ओ वर्षा के घन"
तूने आकर जब मेरे इस
सूने निर्जन उपवन में,
कर दिया जो अपना डेरा।

लगा मुझको जैसे फिर,
कई वर्षों बाद,
इस निर्जन में हुआ एक नवल सवेरा।

लगती है मनोरम अब हर बेला,
संगीत बजा मेरे मन में भी,
जब अम्बुद ने अपनी नन्हीं बूंदों को बिखेरा।

अब तो मेरे उपवन में,
कोयल कूकती है और चिड़ियाँ चहचहाती है,
और करने लगी है अपना बसेरा।
- निधि अग्रवाल

आप सबको यह वर्षा ऋतु पर कविताएँ कैसी लगी, हमें अवश्य बताए, यदि अच्छी लगी हो तो इनको अपने मित्रों, बच्चों व अन्य परिवार जनों से शेयर अवश्य करदें, ताकि वह भी आप की तरह इन कविताओं के माध्यम से वर्षा ऋतु के विभिन्न दृश्यों को समझ सकें।
EDITED BY- SOMIL AGARWAL

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