Thursday, 22 October 2020

दशहरा त्यौहार पर कविताएँ | Poem on Dussehra in Hindi

दोस्तों, हमारा देश भारत त्यौहारों का देश है। सभी त्यौहारों में दशहरे का त्यौहार पूरे हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है। ये त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है जो हम सभी को धर्म का पाठ पढ़ाता है और हमें सत्य के मार्ग पर चलने की ओर अग्रसर करता है। ये त्यौहार हर्ष और उल्लास का भी त्यौहार है क्योंकि इसदिन प्रभु श्रीराम ने रावण का संहार करके विजय प्राप्त की थी।

दशहरे के त्यौहार के दिन पूरे देश में प्रभु श्रीराम जी के जीवन चरित्र को रामलीला के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। इसदिन पूरे देश में मेलें लगते है जिसमें सभी बच्चे-बूढ़े मिलकर हर्ष और उल्लास मनाते है। आज हम आप सभी के समक्ष साझा करते है कुछ दशहरा त्यौहार पर कविताएँ, जिससे कि आप सबको इस पावन पर्व की महत्वता और सत्यता समझ आ सके।

दशहरा त्यौहार पर कविताएँ | Poem on Dussehra in Hindi


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Poem on Dussehra Festival in Hindi


दशहरे के त्यौहार

आये प्रभु राम हमारे,
करके रावण का संहार,
सब मिल मनाओं ख़ुशियाँ,
आया दशहरे के त्यौहार।
बुराई पर अच्छाई का,
आज हुआ है न्याय,
सिंहासन असत्य का टूट गया,
दूर हुआ अन्याय ।
विजय पताका लहराई धर्म ने,
करके शत्रु का विनाश,
शोक-संताप मिटा जन का,
फैला सत्य का प्रकाश।
हर्षित हुई धरा और मगन है अम्बर,
मानो करता वो प्रभु का अभिनंदन,
आओ हम सब भी मिलकर,
करे श्रीराम प्रभु का वंदन।
- निधि अग्रवाल

दशहरा त्यौहार पर कविता


असत्य पर सत्य की जीत

दशहरे का शुभ त्यौहार,
प्रतिवर्ष है आता,
असत्य पर सत्य की जीत का,
ये संदेशा दे जाता।

प्रभु श्री राम की लीलाओं से,
सबके मन को हर्षाता,
उनके आदर्शों पर चलने का,
एक पाठ वो सबको सिखलाता।

जन-जन में भरता ये उमंग,
रंग-मंच का देता आनंद,
भर के हृदय में भाव कई,
मन को पावन कर जाता।

सद्कर्मों की देता ये शिक्षा,
धर्म का ज्ञान है कराता,
अधर्म का होता है विनाश,
ये बात हमें बतलाता।

दशहरे का ये पावन त्यौहार,
मन को पावन कर जाता,
देकर जनजागृति नई,
नवजागरण कर जाता।
- Nidhi Agarwal

विजयदशमी पर कविता | Vijay Dashmi Par Kavita


आया दशहरे का त्यौहार

आया दशहरे का त्यौहार,
संग लाया अपने ये मेलों की बहार,

झूले लग गए, घोड़े सज गए,
सज गयी देखो पूरी बाज़ार।

चारों तरफ है चाट पकौड़ी,
मिठाइयों की तो लग गयी है बौछार,

बच्चे-बूढ़े चले है सज के,
सब पर छाया है देखो अजब खुमार।

खिलौने और गुब्बारों में है बसा,
सारे बच्चों का प्यार,

मेले पर इन ख़ुशियों का इनको,
रहता है हर वर्ष ही जोरों से इंतज़ार।

चमक-चाँदनी है चारों ओर,
जैसे आयी हो कोई बहार,

अपने रंग में रंगा हुआ है,
ये दशहरे का त्यौहार।
- निधि अग्रवाल

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